बाहुबली - 3

बाहुबली - 3

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महाराजा प्रणाम - कडप्पा अपने दल के साथ महल मे सिघृ ही लोट चुके है ।
माराजा - जाओ उसे सिघृ ही मेरे पास लेकर आओ
कडप्पा राजा के पास जाता है और कहता है ।
कडप्पा - माहाराजा ये आपका गुलाम अपना सर आपके पैरो मे झुकाता है ।
महाराजा - रुको
कडप्पा - जो आग्या महाराज
महाराजा - हमने जो काम आपको सोपा था वो हुआ की नहीं ।
कडप्पा - जी महाराज आपके आग्या के पालन के अनुसार बाहुबली के पुत्त को हमने उसकी माँ से छिन कर हमने एक उच्चे पहाड के नीचे बनी सुरंग मे दफन कर दिया पर महाराज वो अभी बच्चा है वो बच्चा मात्त छ महीने का है । मुझे लगता है हमे ऐसा नहीं करना चाहिये था ।
महाराजा उसी सुरंग मे भालु , रिच , चमकादड और शेर , चिते भी है ।
महाराजा उस बच्चे को वो जानवर नोच कर खाँ जायेगे ।
महाराजा - कड़प्पा तुम मत भुलो की तुम हमारे गुलाम हो । जितना कहा जाये उतना ही करो ।
कड़प्पा - जी महाराज छमा करना गलती हो गयी ।
कड़प्पा अपने सिर झुकाये अपने घुटने पर बैठा था तभी बाहुबली की अरधानंगी आ जाती है वो जोर से दरवाजे मे हाथ मारती है । बिखरे हुये बाल के साथ कड़प्पा .............
चील्लाती है ।
कड़प्पा - जी पुत्त री
बाहुबली की पत्नी - माँमा तुमने अपने भानजे की जान तो लेली अब तुने उस मासुम की भी लेली। कड़प्पा घुटने के बल उस की तरफ मुड़ जाता है और गदॆन झुकाकर कहता है ।
कड़प्पा - माफ करना पुत्तरी
बाहुबली की पत्नी - मुझे खुद पर लज्जा आती है कि तु मेरा माँमा है तु माँमा नही कंस माँमा है । पिट पिछे खज्जर घोपने वाला ।
कड़़प्पा - की आखो मे आसु आ जाते है । छमा करना पुत्तरी ।
कड़प्पा बाहुबली की पत्नी के पेरो मे गिर जाता है हाथ जोड़कर रोते हुये ।
बाहुबली की पत्नी पिछे हट जाती है ।
बाहुबली की पत्नी - मैं क्या माफ करु तुझ तो भगवान भी माफ करेगा पहले उस बच्चे के पिता की अब उस बच्चे की तु कड़प्पा कायर ईन्सान है । मैं तुझे मामा नहीं कहुगी बल्कि बस माँमा कहुगी ।
राजा वही खड़ हुआ ये सब द्ख रहा था और कहता है ।
महाराजा - ये मत भुल तु किस महल की चोखट पर खड़ी है ।
बाहुबली की पत्नी - मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहती पर तुझे आगहा करना चाहती हु । जिस महल मे तु खड़ा है एक दिन ईसका नामो निशान मिट जायेगा । ईस महल का नामो निशान मेरा पुत्त व बाहुबली पुत्त मिटायेगा मैं आज से 20 साल तक तपस्या करुगी उस पहाड़ के नीचे अगर ईस दुनिया मे भगवान है तो वो जरुर उस पहाड़ को जरुर बहार आयेगा और मैं उस दिन की प्रतिछा करुगी और मेरे साथ तु भी उस दिन की प्रतिछा करेगा ।
ना मैं जियुगी ना तुझे मैं जिन् दुगी तु 20 साल तक बेचेन रहेगा ना ही तु चेन की निद सो पाये गा तु हर रोज डर - डर के जियेगा ।
बाहुबली की पत्नी जाते हुये और सुन तुझे उस पहाड़ के टुटने की गजॆ तुझे यहा तक सुनाई देगी ।
बाहुबली की पत्नी वहाँ से जा चुकी है ।
कड़प्पा अब भी सिर झुकाये बैठा हुआ था ।
राजा बाहुबली की पत्नी की बात सुनकर राजा बेचेन हो जाता है । ईधर - उधर घुमता है ।
महाराजा - कड़प्पा जाओ 20 वषॆ तक उस पहाड़ के चारो और दिन- रात पहरे द्वारी करो उस पहाड़ की सुंरग मे कोई मनुष्य अन्दर नहीं जा सके अगर जानवर उस सुरंग मे बडे भी जाये तो वो बाहर भी ना आये अगर कोई जानवर व पछी उस सुरंग से निकलने की कोशिश करे तो उसे वही अपनी आखो के सामने मार दिया जाये अगर 20 साल बाद बाहुबली पुत्त भी निकले तो उसे भी मार दिया जाये । उस पहाड़ से जीव - जन्तु व मनुष्य मे से किसी को भी निकलने पर तुरन्त मार दिया जाये ।
किसी को भी वक्सा नहीं जाये किसी पर रहम नहीं किया जाये । चाहे वो कोई भी हो या हमारा ईन्सान ही कयो ना हो ।
उसकी गदॆन तुरन्त धड़ से अलग कर दिया जाये ।
कड़प्पा - जी महाराज जो आग्या आपकी
महाराजा - कड़प्पा भुल कर भी ये मत भुलना की तु हमारा गुलाम है ।
कड़प्पा - जी महाराज मैं मौत तक भी नहीं भुलुगा की मैं आपका गुलाम हु ।
महाराजा - और एक बात 20 साल तक हमे हर रोज आगहा करते रहना दिन हो या रात कुछ समय बाद कड़प्पा अपने दल के साथ वहाँ से जा चुँका होता है ।
पर राजा अब भी बैचेन ईस समय उसके कानो मे गुंज रही है ।
राजा को अन्दर ही अन्दर कड़प्पा पर विश्वास खत्म होता जा रहा था ।
ईस लिये राजा ने अपना एक गुप्त सैनिक उसी दल के साथ गुप्त तरीके से भेज दिया ।
महाराजा - मेरे प्रिय सैनिक तुम जा तो रहे हो वहाँ पर अपनी आख कान खुली रखना और सब पर नजर रखना कड़प्पा पर भी ।
ये बात सिफॆ हमारे तुम्हारे ही विच मे रहनी चाहिये तीसरा कोई ना हो.......
20 साल गुजर जाने के बाद
आज महाराजा बैचेन है अब कुछ ही शेष दिन है ।
महाराजा सबसे पुछता है कि वास्तव मे कया बाहुबली पुत्त उस पहाड़ से निकलेगा
पर उसे निस्कोच उत्तर मिलता है ।
बाहुबली की पत्नी उस के ईन्तजार मे आज भी उस पहाड़ के सामने तपस्या कर रही है । कुछ समय पहाड़ मे हल - चल होने लगती है । मिटटी और पत्थर गिरने लगते है । कड़प्पा अपनी तलवार पकड़ वहाँ खड़ा अपने पल के साथ उस पहाड़ को देख रहा था कड़प्पा ने अपने सैनिक को पहाड़ को चारो और से घेरने का आग्हा करता है ।
कड़प्पा के सैनिक ने पहाड़ को चारो और से घेर लिया । तभी तेजी से पहाड़ के टुटने की आवाज जोर - जोर से होती है । पहाड़ की गुफा मे बाहुबली पुत्त पहाड़ को बहार की तरफ धकेल रहा था । उसके समीप बहुत सारे जानवर भी खडे थे शेर , चिता व भालु भी थे । बाहुबली पुत्त जोर - जोर से चिल्लाता है ।
जय महेश मती , जय महेश मती
कुछ समय मे पहाड़ टुट जाता है ।
पत्थरो के निचे कड़प्पा के सेनिक मारे जाते है । और कुछ वहाँ से भागकर अपनी जान बचा लेते है वहाँ पर अफरा - तफरी का माहोल बन जाता है । और कड़प्पा भी जख्मी हो जाता है । पहाड़ के चारो तरफ रेत का धुआ व बड़े - बड़े पत्थर गिर रहे थे । कुछ समय बाद धुआ कम हो जाता है सब उस समय टुटे हुये पहाड़ की तरफ देख रहे थे धुआ कम होते ही उसे एक व्यक्ति वहाँ पर लुँगी पहने खड़ दिखाई देता है । उसके समीप शेर , चीता और भालु भी कई सारे जानवर खड़े थे । कड़प्पा ये सब देखकर हेरान हो जाता ह ।


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