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Kradha Thakur

Romance

3  

Kradha Thakur

Romance

अर्धांगिनी

अर्धांगिनी

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एक बहुत बड़ा आलीशान घर जहां बाहर बहुत बड़ा गेट लगा था और उससे अंदर जाने में एक बहुत बड़ा गार्डन वही पे बहुत सारे फ्लावर्स लगे थे और एक साइड में बारह लिक्सिरियस कार खड़ी थी और फिर अंदर आने पे हॉल में महंगे सोफे पड़े थे और ऊपर जाने के लिए दोनों तरफ से सीढ़ियां थी सोफे पे एक सत्तर अस्सी साल की महिला और उनके सामने उन्हीं के हमउम्र आदमी बैठे थे। 

ये महिला थी राजस्थान की राजमाता गीतांजलि सिंह राठौर और इनके सामने बैठे थे इनके पति अभिराज सिंह राठौर। 

तभी किचन से एक चालीस पचास साल की औरत निकलती है और उनके पीछे नौकर आ रहे थे हाथ में चाय और नाश्ते की प्लेट पकड़े ये थी इस घर की बहु और गीतनाजली जी के बेटे यशवंत सिंह राठौर की पत्नी आरती यशवंत सिंह राठौर 

आरती जी नाश्ते और चाय की ट्रे डाइनिंग टेबल पे रखने का इशारा करती है। और फिर बोलती है। 

आरती जी - मां पापा आइए नाश्ता कर लीजिए यश जी कहा रह गए आप नीचे आइए नाश्ता तैयार है। 

गीतांजलि जी अपनी जगह से उठती है। और डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ते हुए बोलती है। 

गीतांजलि जी - क्या हुआ बहु अभी तक वो नहीं आए

आरती जी - आप तो जानती है। जब तक वो साहिल को जगा कर के तैयार न कर के तब तक नीचे नहीं आता। 

गीतांजलि जी - सही कहा तुमने लेकिन ये सब ऐसे ही कब तक चलता रहेगा उसे भी एक हमसफर की जरूरत है। और साहिल को एक मां की लेकिन आपके बेटे को ये बात समझ ही नहीं आ रही। 

आरती जी - हर मुमकिन कोशिश कर चुके है। हम लेकिन उन्हें कुछ समझ ही नहीं आता। 

गीतांजलि जी कुर्सी पे बैठते हुए 

गीतांजलि जी - साहिल कहता नहीं है। क्योंकि वो नहीं चाहता की उसके पापा को उसकी बातों से दुख हो और वो चार साल का बच्चा अपनी मां के बिना रह रहा है। लेकिन हम जानते है। की वो भी चाहता है। की बाकी बच्चों की तरह उसकी भी मां उसे स्कूल छोड़ने जाए सुबह उसे नाश्ता कराए उसका होमवर्क कराए उसे लोरी सुनाए

अभिराज जी - आप दोनों ने बहुत कोशिशें कर ली अब हम एक आखिरी दांव खेलेंगे 

गीतांजलि जी - कहना क्या चाहते है।ं आप कोई लड़की है।ं क्या नजर में 

अभिराज जी - हाँ है। एक नजर में याद है। गीत उस दिन मंदिर में हमें एक लड़की मिली थी 

गीतांजलि जी - हाँ उसे हम कैसे भूल सकते है। बहुत प्यारी बच्ची थी उसे देखते ही मन में पहला खयाल यही आया था की काश ये हमारे चीकू को भी ये बात समझ आ जाए 

आरती जी - मां आप जानती है। न वो इस चीकू नाम से कितना चिड़ता है। फिट भी 

गीतांजलि जी - जब वो चिड़ता है। तब बड़ा अच्छा लगता है। 

-गुड मॉर्निंग मां ,गुड मॉर्निंग दादी मां एंड गुड मॉर्निंग दादू

सब लोग पीछे देखते है। सीढ़ियां से एक सताइस अठाईस साल का लड़का उतर रहा होता है। ब्लू शर्ट ब्लैक पैंट्स ब्लैक कोट हाथ में ब्रांडेड वॉच माथे पे बिखरे बाल परफेक्ट बॉडी ये थे रुद्रांश सिंह राठौर 

रुद्रांश नीचे आ कर के सबके पैर छूता है। और फिर अपनी कुर्सी पे बैठ जाता है। 

रुद्रांश - मां आज आपको साहिल को स्कूल छोड़ने जाना है। क्योंकि आज उसकी केयरटेकर नहीं आएगी 

आरती जी - हा ठीक है। लेकिन साहिल है। कहा

तभी पीछे से आवाज आती है। 

- मैं ज्याहा हूँ (मैं यहां हूँ )

सब लोग पीछे देखते है। की एक चार साल का बच्चा आंखों में शरारत लिए स्कूल की ड्रेस पहने उन सब को देख रहा था 

आरती जी - अच्छा मेरा बच्चा आप वहा हो चलो जल्दी से आ जाओ आप फिर मैं आपको स्कूल छोड़ने चलूंगी 

साहिल - दादी मेरी मम्मा तब मुदे च्कूल छोड़ने दायेंगी ( दादी मेरी मम्मा कब मुझे स्कूल छोड़ने जाएंगी )

अभिराज जी - बहुत जल्दी आपको आपकी मम्मा स्कूल छोड़ने जाएंगी 

गीतांजलि जी - आप शादी क्यों नहीं कर लेते 

रुद्रांश - दादी मां आप क्या चाहती है। की हम नाश्ता भी न करे 

गीतांजलि जी शांत हो जाती है। 

सब लोग नाश्ता करते है। उसके बाद रुद्रांश अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है। और आरती जी साहिल को ले कर के उसके स्कूल के लिए 

रुद्रांश ऑफिस में काम ही कर रहा होता है। तभी उसकी नजर ऑफिस के एक कैमरा पे पड़ती है। इस कैमरा में रिसेप्शन की फुटेज दिखती थी 

रुद्रांश की नजर रिसेप्शन पे खड़ी लड़की पे ठहर जाती है। 

ब्लू कलर के पटियाला सूट में बालों की ढीली si चोटी रंग बहुत गोरा नहीं था लेकिन सांवला भी नहीं था हाथ में एक फाइल पकड़े वो रिसेप्शनिस्ट से कुछ कह रही थी 

रुद्रांश अपने फोन से अपने सेक्रेटरी को कॉल करता है। 

रुद्रांश - रिसेप्शन पे एक लड़की खड़ी है। चेक करो किस वजह से आई है। वो थोड़ी देर बाद रुद्रांश का फोन फिर से रिंग करता है। 

रुद्रांश - हा बोलो

सेक्रेटरी - सर वो लड़की कौन है। ये तो नहीं पता चल पाया क्योंकि जब तक मैं वहा पहुंचा तब तक वो जा चुकी थी और रिसेप्शनिस्ट कह रही है। की वो लड़की गलती से यहां आ गई थी किसी को ढूंढते हुए लेकिन उसकी एक फाइल यही पे छूट गई है। आप चाहे तो मैं वो फाइल आपको दे सकता हूँ

रुद्रांश - हा केबिन में ले आओ

रुद्रांश का सेक्रेटरी वो फाइल उसके केबिन में दे जाता है। 

रुद्रांश उस फाइल को खोल के देखता है। वो फाइल सिटी हॉस्पिटल की थी किसी पेशेंट की 

ये पेशेंट वो लड़की नहीं थी क्योंकि उसका नाम रमेश नहीं हो सकता शायद उसके किसी रिश्तेदार की हो 

रुद्रांश इस फाइल को हटाने ही जा रहा था तभी उसकी नजर वही पे बने सिग्नेचर पे पड़ती है।। 


रुद्रांश - रुहानिका कितना प्यारा नाम है। 

रुद्रांश सिर झटक कर फिर से अपने कामों में लगा जाता है। 

उधर घर में 

गीतांजलि जी - आरती जल्दी चल तुझे तेरी होने वाली बहु से मिलवाना है। 

आरती - सच में मां लेकिन क्या रुद्रांश मानेगा 

गीतांजलि जी - एक बार साहिल को वो लड़की पसंद आ जाए फिर रुद्र भी मन जाएगा 

आरती जी गीतांजलि जी और अभिराज जी तीनों सिटी हॉस्पिटल के लिए निकल जाते है। 

वो तीनों हॉस्पिटल पहुंच कर के सीधा कार्डियोलॉजिस्ट के केबिन की तरफ जाते है।

केबिन के बाहर नाम लिखा था 

कार्डियोलॉजिस्ट रुहानिका रायचंद

वो केबिन में आने के बाद देखते है। की रुहानिका किसी फाइल में आंखें गड़ाए बैठी है। जिससे की उसका चेहरा नहीं दिख रहा है। 

अभिराज जी - रूही बच्चे कैसे है। आप आवाज सुन कर के रुहानिका अपना सिर उठा कर के देखती है। ये वही लड़की होती है। जिसे रुद्रांश ने अपने ऑफिस में देखा था । 

रुहानिका - दादा जी आप नमस्ते कैसे है। आप और दादी जी आप भी आई है। कैसी है। आप और आंटी जी आप पक्का दादी मां की बहु होंगी जिनके हाथ की खीर पूरी की तरफ सुन सुन करके मेरे मुंह में पानी आ जाता है। 

अभिराज जी - हाँ ये हमारी बहु ही है। आरती और हम सब बहुत अच्छे है। तुम कैसी हो 

रुहानिका - बस आप सबके आशीर्वाद से सब कुछ अच्छा है। आप सब खड़े क्यों है। बैठिए न.... सब लोग बैठ जाते है।

आरती जी - मां आपने कभी बताया नहीं की आप इतनी प्यारी बच्ची को जानती है। और उससे मिलने भी आती है। वैसे आप रुहानिका से मिली कब 

गीतांजलि जी - याद है। तुझे एक दिन मैं मंदिर गई थी और तेरे पापा अपने दोस्तों के साथ वही मंदिर के दूसरे छोर पे बैठे थे और मैं वहा सीढ़ियों पे चक्कर खा के गिरने वाली थी तब रूही ने ही हमें बचाया था और याद है। साहिल जिस परी के बारे में बोलता रहता है। वो भी कोई और नहीं हमारी रूही ही है। 

आरती जी - साहिल रूही को कैसे जानता है। 

गीतांजलि जी - अरे दरअसल हर सोमवार को साहिल हमारे साथ मंदिर आता था तभी उसकी दोस्ती रूही से हो गई और रूही उसकी परी बन गई  

तभी रूही के केबिन का डोर नॉक होता है। 

रूही - कम इन

नर्स अंदर आती है। अरु बोलती है।।

नर्स - डॉक्टर रायचंद आपको डॉक्टर मित्तल बुला रहे है। 

रूही - ओके तुम चलो हम आते है। 

नर्स वहां से चली जाती है। 

रूही - आप सब बैठिए हम दस मिनट में आते है। डॉक्टर मित्तल ने बुलाया है। तो कुछ जरूरी ही होगा

रूही के वहां से जाने के बाद गीतांजलि जी आरती से बोलती है।।

गीतांजलि जी - कैसी लगी आपको रूही हमें तो ये साहिल की मां बनने और रुद्रांश की अर्धांगिनी बनने के लिए परफेक्ट लगी आप बताइए 

आरती जी - हमें भी बस अब रूही हाँ कर दे क्योंकि साहिल रूही को अपनी मां बनाना ही चाहता है।ं और साहिल के लिए रुद्रांश भी हा कर देंगे

गीतांजलि जी - अब जब रूही वापस आयंगिंत हम उनसे पूछेंगे 

आरती जी - हाँ ठीक है। मां 

थोड़ी देर बाद रूही वापस आती है। और अपनी कुर्सी पे बैठ जाती है। 

आरती जी - बेटा आपसे एक बात पूछनी है। 

रूही - जी आंटी पूछिए 

आरती जी बेटा आपको साहिल अच्छा लगता है। न और आपने ये भी देखा है। की साहिल को मां की जरूरत है। लेकिन वो कभी कहता नहीं है। और हमारे बेटे रुद्रांश को भी एक हमसफर की जरूरत है। और हम चाहते है। की आप उनकी हमसफर बने।

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क्या होगा रुहानिका का जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए अर्धांगिनी 


क्रमशः



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