अपने

अपने

1 min
269


 सूरज उगा। वृद्धाश्रम के बाहर एक बूढ़ा पड़ा था। सेवक उसे अन्‍दर लेकर आये। बिठाया, पानी पिलाया। उसे निश्चिन्‍त किया कि अब आराम से रहे। बूढ़ा झर-झर रोने लगा। सब उसे दिलासा दे रहे थे, पर वह रोये जा रहा था। रोने का कारण बार बार पूछे जाने पर बूढ़े ने अपने हाथ आगे कर दिये। 

   सेवकों ने देखा, वृद्ध के हाथों की अंगुलियां-अंगुठे पर स्‍टाम्प पैड वाली नीली स्‍याही का रंग था।


Rate this content
Log in

More hindi story from संजय पुरोहित

Similar hindi story from Tragedy