श्राद्ध
श्राद्ध
दिवंगत पिता की तस्वीर के सामने बेटी श्राद्ध की थाली लिये खड़ी थी। भीगी आंखों से तस्वीर से बतियाते बोली,"आप ही तो कहते थे ना मैं बेटी नहीं बेटा हूँ...मेरे हाथ का श्राद्ध ग्रहण करोगे ना पापा ?"
तस्वीर नहीं बोली किन्तु तस्वीर पर चढ़े गुलाब के फूलों से एक पंखुड़ी लहराती हुई उसकी सीली आंखों पर आकर ठहर गयी।
