अपने दिल से पूछो
अपने दिल से पूछो
मेरी चुप्पी मैं ही जानू, तुम सब से अनजान रहो,
नहीं जरूरत कुछ कहने की, ना मुझसे परेशान रहो।
मुझसे क्या पूछते हो, अपने दिल से भी कुछ पूछो,
नहीं देवता बनो कम से कम, बनकर तो इंसान रहो।
यहाँ कौन अपना है संग में, कौन पराया खबर नहीं,
समझ के उनके हर चालों को, बेहतर है नादान रहो।
दिल में जगह बनाकर दिल का वासी बन हरदम के लिए
ऐसा कुछ मत कर जाना के दिल में तुम मेहमान रहो।
ऐसे भी क्या मद में जीना, दिल का दर्पण साफ रखो
तुझमे भी कोई जी पाए, बनकर एक जहान रहो।