अप टू डेट लोग

अप टू डेट लोग

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'भूं भूं...भूं' की आवाज सुन भाभी भुनभुनाई--

' भोरे भोरे कहां से यह कुक्कुड़ आ गया रे?'

' कुक्कुड़ मत कहना फिर भाभी, वरना....', बगल की आंटी गुर्राई।

' अरे तो क्या कहूं, डॉगी?'

' नहीं।'

' तो फिर?'

' पपलू है यह।पप्पू के पापा इसे प्यार से इसी नाम से बुलाते हैं।समझ गईं न, कि नहीं ?'

' बाप रेे..ऐसा है क्या ?'

' और क्या ? हमारे परिवार का हिस्सा है अपना पपलू। हमारे संग नहाता - धोता, खाता - पीता है यह।'

' और सब....?'

' और..? अरे सब कुछ हमारे जैसा ही करता है। बिलकुल आदमी हो गया है यह।'

' हूं हूं..छछूंदर के माथे चमेली का तेल....हेहे.. हेहे. हह ह ह..और क्या ?' भाभी की हंसी पूरी तरह व्यंग्यात्मक हो चली थी।

' ज़बान संभाल लीजिए भाभी।आगे मैं बर्दाश्त नहीं करूंगी। पपलू हमारे परिवार का सदस्य है। पूरी तरह अप टू डेट हो चुका है।' आंटी के आहत मर्म की आवाज उभरी।

' इसीलिए सुबह - शाम सड़क और अपार्टमेंट की दीवारें गंदी करता फिरता है?और तुमलोग अप टू डेट बनकर यही सब करा रहे हो, कि नहीं?'भाभी ने चट से सवाल दागा।

आंटी अब चारों खाने चित हो चुकी थी।अट - पट क्या करती?क्या कहे - क्या न कहे , वह समझ नहीं पाई।

पपलू निवृत होकर ,'भौं भौं ...'करने लगा था।


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