कौवे
कौवे
ताला भुइयां की बेटी आज घर वापस आ गयी है।विधायक लालू भुइयां अपने घर के छोटे-मोटे कामों के लिए उसे सात साल पहले दिल्ली ले गया था।उसके माँ-बाप को बोला था कि उधर रहेगी,सेवा-टहल करेगी।चार पैसे भी मिल जायेंगे।कुछ पढ़-लिख भी जायेगी।ताला ने पत्नी की तरफ देखा था।उसने मौन सहमति दी थी और दस साल की झुनिया दिल्ली चली गयी थी।हाँ,लालू भुइयां पैसे समय से भिजवाता रहा,पर धीरे-धीरे झुनिया की खबर का आना बंद ही हो गया था।पहले झुनिया के माँ-बाप की गाँव के पांडे बाबा के बेटे से लिखवायी चिट्ठी उसे मिला करती थी,वह उसे लालू के घरेलू नौकर काशी की बेटी से पढ़वाती।कुछ के जबाब भी उसने भिजवाये।बाद में चिट्ठियों का आना बंद हो गया।उसे लगा कि अचानक क्या हो गया।चिट्ठियाँ क्यूँ नहीं आ रहीं?उधर उसके माँ-बाप सोचते कि पहले तो चिट्ठियों का जबाब आ जाता था।अब क्यों नहीं आ रहा?
समय ने करवट बदली।अख़बार में आयी खबर के आधार पर पड़े पुलिस छापे में झुनिया दिल्ली से वापस अपने घर लायी गयी है।माँ-बेटी का रो-रोकर बुरा हाल है।गाँव-जवार में फुसफुसाहट है ।सब कह रहे हैं---कैसी छोटी-सी गयी थी तब?कच्ची कली थी।अब तो पूरा अपटुडेट होकर आयी है।कोई-कोई चुटकी भी ले रहा है।अरे क्यूँ नहीं भाई?नेताजी की सेवा में थी न बेचारी?रंग तो बरसना ही था।उधर झुनिया की माँ बेटी से कह रही थी,' भला ललवा अइसा करेगा,ई तो सोचबे न किये थे हमनी।कहीं कउवा कउवा का मांस खात ह भला?'
-अब कउवा सब कउवा के मांस खात बारन सब मइया,'झुनिया बोली।
-चल रे छौंरी, दरोगाजी बयान खातिर थाना में फिर से बोलाये हैं,' पैंट की बेल्ट सुधियाते हुए हकलू हवलदार बोला।
आज झुनिया के दैहिक शोषण से संबंधित मामले की सुनवाई होनी है। उसकी एक चिट्ठी के लीक होने से मामला मीडिया होते हुए कोर्ट पहुँच गया था।