अनुराग
अनुराग
कभी नज्म सा, कभी ग़ज़ल सा
मेरे सुरों को पिरोता तू - एक जज्बात सा है,
कभी भैरवी सा, कभी मल्हार सा,
मेरे मौसम को बदलता तू- एक राग सा है।।
कभी आईने में बनी, ओस की बूंदों से ढकी
धुंधली तस्वीर सा,
कभी धूप की मखमली चादर लपेटे
साफ होती तस्वीर सा।।

