अनोखी दोस्ती
अनोखी दोस्ती


कहानी एक लड़का और लड़की की दोस्ती की है चलिए जानते हैं इनकी कहानी।
यह प्रतीक और प्रिया की कहानी है प्रतीक और प्रिया एक साथ पढ़ते थे, एक ही स्कूल में एक ही क्लास में और घर भी दोनों का पास ही था अपना टिफिन दोनों बांटते थे दोनों पढ़ाई में एक दूसरे की मदद करना दोनों एक दूसरे की चीजों का बहुत ध्यान देना ऐसी बहुत प्यार से दोनों कि दोस्ती चल रही थी। धीरे-धीरे दोनों बड़े होने लगे उनकी दोस्ती और गहरी होने लगी प्रतीक को कोई कुछ कहता तो प्रिया को बुरा लगता था और प्रिया को कोई कुछ कहता तो प्रतीक बुरा लगता था। दोनों एक के खिलाफ कभी कुछ नहीं सुन सकते थे लोगों ने इनकी दोस्ती का गलत मतलब निकालना शुरू कर दिया लोगों को जो दिखता है वह गलत ही लगता है लेकिन इन दोनों को कभी इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता था कि कोई उनके बारे में क्या कहता है वह अपनी दोस्ती पर कायम रहे ।
दोनों ने कॉलेज भी साथ में किया पढ़ाई में बहुत तेज थे इधर प्रतीक की नौकरी भी लग गई यहां प्रिया के लिए रिश्ते आना शुरू हो गए प्रतीक और प्रिया को इसी बात का डर था कि उन में दूरियाँ हो जाएंगी। प्रिया ने अपने माता पिता के लिए शादी कर ली, शादी के बाद प्रिया और प्रतीक दूर हो गए प्रिया अपने घर गृहस्थी जिम्मेदारियों में फँस गई कई दिनों तक उनकी बातें बंद हो गई प्रतीक भी अपनी नौकरी में बिजी रहने लगा। एक दिन अचानक प्रिया के पति को छाती में दर्द शुरू हो अस्पताल ले जाते तक उनकी मृत्यु हो गई, जैसे मानो प्रिया की सारी दुनिया उजड़ गई प्रिया उदास रहने लगी न खाती थी ना पीती थी, दिन भर रोया करती थी। इस बात का प्रतीक को पता चला तो बहुत दुखी हो चुका था फिर भी उसने प्रिया की आँखों में ख़ुशियाँ लाना चाहता था और उसे फिर से पहले जैसा मुस्कुराता और खिल खिलाते देखना चाहता था इसके लिए वह प्रिया से मिलने लगा प्रिया अपने मायके आ चुकी थी जिसे प्रतीक हर रोज प्रिया से मिलने आता था ।
मोहल्ले के लोग बातें बनाना शुरु कर दिए थे प्रिया और प्रतीक के लिए गलत बातें बोलने लगे थे प्रिया बहुत रोने लगी टूट सी गई, प्रिया ने प्रतीक से कहा अब हमें नहीं मिलना चाहिए लोग हमारे लिए तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। प्रतीक ने कहा हम पहले भी मिलते थे हमें पहले भी लोग बहुत कुछ बोला करते थे उस समय तुम को कोई फर्क नहीं पड़ता था फिर आज अचानक तुम्हें फर्क क्यों पड़ रहा है। प्रिया ने कहा पहले की बात कुछ और थी पहले मेरी शादी नहीं हुई थी और हम दोस्त हैं मेरी शादी हो चुकी है और मेरे पति दुनिया में नहीं है और हमारी दोस्ती को गलत मतलब लोग निकालते है जो मुझे पसंद नहीं है ।
प्रतीक फिर भी नहीं माना वह रोज आता था उसके चेहरे में खुशी लाने के लिए। लोग कहने लगे कि एक विधवा का किसी पराए मर्द से बात करना अच्छा नहीं होता यहां प्रिया रोने लगी प्रतीक के सामने हाथ जोड़कर कहने लगी तुम मत आओ मुझसे मिलने लोगों की बातें मुझे सहन नहीं होती है, घर परिवार के लोग भी मना करने लगे प्रतीक को घर में आने के लिए लेकिन प्रतीक को प्रिया की हालत देखी नहीं जाती थी प्रतीक ने प्रिया की बात मान कर आना तो बंद कर दिया।
कुछ दिन ऐसे ही बीतने लगे दोनों अपने-अपने जिंदगी जी रहे थे अचानक एक दिन प्रतीक का एक्सीडेंट हो गया प्रतीक को बहुत चोट लगी थी वह हॉस्पिटल में एडमिट था प्रिया यह सुनकर रह नहीं पाई वह दौड़ी भागी प्रतीक से मिलने हॉस्पिटल चली गई। यहां लोगों ने फिर प्रिया पर उंगली उठाना शुरू कर दिया प्रतिक को देखकर प्रिया अपने घर चली गई प्रतीक की ऐसी हालत देखकर प्रिया बहुत बेचैन हो रही थी, उसे मानो कुछ अच्छा नहीं लग रहा था सिर्फ प्रतीक की चिंता उसे खाए जा रही थी। यहां प्रतीक भी प्रिया को बहुत याद कर रहा था और धीरे-धीरे ठीक हो रहा था फिर वह भी घर आ गया प्रिया यह बात सुनकर प्रतीक घर चली आई उससे मिलने फिर लोगों के ताने शुरू हो गए।
प्रतीक से रहा नहीं गया लोगों से उसने कहा आप एक लड़का और लड़की की दोस्ती को गलत क्यों कहते हो क्या एक लड़का और लड़की सिर्फ दोस्त नहीं हो सकते, जरूरी है कि उन्हें हर रिश्तों में बांधा जाए दोस्ती का रिश्ता सबसे पवित्र रिश्ता होता है कृष्ण और सुदामा की दोस्ती क्यों सराहा जाता है वह लड़के थे इसलिए उनकी दोस्ती सही थी क्या एक लड़की लड़के की दोस्त नहीं हो सकती उसके सुख-दुख की साथ ही नहीं हो सकती? क्या वह अपने दिल की हर एक बात एक दूसरे से नहीं बता सकते? क्यों लोगों को यह जानने की चाहत होती है कि एक लड़का लड़की क्यों मिल रहे हैं क्या बात कर रहे हैं ।
अरे आज प्रिया की परिस्थिति ऐसी है इसलिए मैं मुझसे मिलने आता हूं आज मेरी तबियत खराब है तो प्रिया मुझे देखने आई तो क्या यह गलत है एक दोस्त एक दूसरे को नहीं देख सकता हम पड़ोसी की तबियत खराब होती है तो हम देखने चले जाते हैं तो फिर वह क्यों गलत नहीं होता उसमें लड़की भी बीमार पड़ती है लड़का भी बीमार पड़ता है फिर हमें देखने तो जाते हैं ना। अगर आप लोगों को हमारी दोस्ती पर शक है तो आप ही लोग बता दो हमें किस रिश्ते को मानकर आप लोग का शक दूर कर दे, मिलना तो नहीं छोड़ सकते हम बात करना तो नहीं छोड़ सकते हम एक दूसरे की फिक्र करना तो नहीं छोड़ सकते क्योंकि हम बचपन के दोस्त हैं और चोट उसे लगती है तो दर्द मुझे भी होता है और मुझे चोट लगती है तो उसे भी दर्द होता है। हम सिर्फ एक दूसरे का दर्द और ख़ुशियाँ बांटना चाहते हैं और हमारा कोई संबंध नहीं है सिर्फ एक अच्छी दोस्त एक हमदर्द बस यही है ।
उस दिन के बाद से लोगों ने ताना मारना बंद कर दिया प्रिया की उम्र कम थी तो प्रतीक ने सोचा क्यों ना उसकी दूसरी शादी कर दी जाए तो उसने एक अच्छे परिवार से एक अच्छे लड़के से प्रिया की शादी कर दिया, क्योंकि प्रिया पढ़ी लिखी थी तो उसे पैरों में भी खड़ा किया प्रतीक ने उसे अच्छी जॉब ऑफर की इधर प्रतीक की भी शादी हो गई दोनों अपने जीवन में खुश रहने लगे। इससे दोनों की दोस्ती भी बरकरार रही प्रतीक की पत्नी और प्रिया के पति दोनों को इससे आपत्ति नहीं थी उनकी दोस्ती को उन दोनों ने सराहना किया, दोनों पहले की तरह खुश रहने लगे और उनकी दोस्ती मिसाल बन गई लोगों की नजर में उनकी दोस्ती का परिचय दिया जाता था।