बाबा की राजकुमारी
बाबा की राजकुमारी
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चलिए आपको हम मिलाते हैं एक ऐसी लड़की से जो अपने बाबा की राजकुमारी थी। राजकुमारी से आप समझ ही गए होंगे वह कितनी प्यारी लड़की होगी। बाबा की राजकुमारी का नाम था सुप्रिया ।अब चलिए जानते हैं कि बाबा और राजकुमारी है कौन ? एक कॉलेज की प्रोफेसर जयराजसिंह के पुत्र शेखर सिंह की बेटी सुप्रिया थी मतलब कि बाबा जयराजसिंह और उनकी राजकुमारी सुप्रिया । तो चलिए जानते हैं सुप्रिया का जन्म कैसे हुआ जयराज सिंह अपनी संघर्षों से कॉलेज के प्रोफेसर बने? संध्या जो जयराज सिंह की पत्नी थी और जयराज सिंह और संध्या के पुत्र शेखर सिंह को भी इस काबिल बनाया कि वह लोगों की सेवा कर सके। पेशे से शेखर वकील थे उनकी शादी एक संपन्न परिवार की पुत्री सुधा से किया गया कुछ समय इनकी एक पुत्री हुई जिसका नाम सुप्रिया रखा गया । सुप्रिया के आने से मानों जयराज सिंह को उनकी प्यारी सी नटखट से राजकुमारी मिल गई और सुप्रिया को भी मानो जैसे जयराजसिंह में एक दोस्त हमदर्द सब कुछ लिखने लगा था। वह अपनी हर तकलीफ सबसे पहले अपने बाबा को आकर बताते थी।मतलब जयराज सिंह को सुप्रिया का जीवन बड़ा सुख पूर्वक चल रहा था सुप्रिया दिन भर दिन बड़ी होती जा रही थी। इधर चेहरा सिंह भी अपनी उम्र से बुजुर्ग होते जा रहे थे। अचानक एक दिन जयराज सिंह की तबीयत खराब हो गई, सुप्रिया उस समय 15 साल की थी उसे अपने बाबा की यह हालत देख कर बड़ा दुख हो रहा था। कुछ दिन बिस्तर में थे जयराज सिंह फिर अचानक उनकी मृत्यु हो गई । जैसे मानो सुप्रिया की दुनिया ही खत्म हो गई टूट सी गई ।सुप्रिया बिखर सी गई, सुप्रिया ना हंसती थी ना बोलती थी ना खाती थी ना पीती थी। पढ़ाई लिखाई छूट गए सुप्रिया बस गुम बैठी रहती थी ।
ऐसा करते-करते साल बीत गया ,बहुत कोशिश की शेखर सुधा संध्या ने उसे संभालने की लेकिन अपने बाबा की याद में डूब सी गई थी। फिर अचानक एक दिन सुप्रिया ने सपने में अपने बाबा को देखो मानों वह उछल पड़ी थी, सपने में उसकी खुशी का ठिकाना न था रो भी रही थी क्यों छोड़ कर चले गए मुझे बाबा ? एक ही सवाल बार बार पूछ रही थी । उसके बाबा ने उससे कहा बेटा जब समय आता है तो जाना पड़ता है, यहां के काम मेरे खत्म हो गए थे इसलिए ईश्वर ने मुझे अपने पास उनके काम के लिए बुलाया था । यहां संभालने के लिए तुझे भेजा था फिर तू क्यों इस तरह अपनी जिंदगी को रोक रही है? चल बढ़ ,आगे बढ़ तेरे लिए जो मैंने सपने देखे हैं उसे पूरा कर ।
सुप्रिया नींद से जागी उसने उस दिन से ठान लिया वह रोएगी नहीं ,उदास नहीं होगी, वह अपने लक्षय को कायम करेगी। अपने बाबा का अधूरा सपना पूरा करेगी वह जो चाहते थे वह बन कर दिखाऐगी ।सुप्रिया ने बहुत कड़ी मेहनत की है उस दिन के बाद से उसने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी और हर माहौल में एडजस्ट होने लगी। हंसने लगी खिलखिलाने लगी फिर से जैसे मनो घर की रौनक वापस आ गई । सुप्रिया ने अपने बाबा का अधूरा सपना भी पूरा किया। वह चाहते थे कि सुप्रिया डॉक्टर बने , सुप्रिया ने भी इतनी मेहनत की कि वह हर परीक्षा में अव्वल दर्जे से पास हुई। सुप्रिया ने गरीबों के लिए उसने एक मुफ्त अस्पताल खोला जिसमें वह खुद एग्जामिन करती थी और अपने कर्तव्य से निस्वार्थ सेवा करने लगी । अपने बाबा के अधूरे सपने को पूरा किया । सच में वह बाबा की राजकुमारी थी अपने लक्ष्य को ना भूली सिर्फ अपने बाबा के उपदेशों का पालन किया यह थी बाबा की राजकुमारी की कहानी ।