अनोखा_प्यार
अनोखा_प्यार
आज 6 साल हो चुके थे पर फिर भी आज भी इतिका उभर नहीं पायी थी
रौनक के साथ बिताई कुछ साल की चंन्द शामें आखें आज भी नम कर देती है
वो की-पैड फ़ोन से भेजे गए लम्बे लम्बे संदेश आज भी जैसे उसको मुँह ज़ुबानी याद थे
इतिका आज भी सिर्फ उसी के इंतज़ार में थी जिसने जाने के बाद मुड के कभी देखा तक नहीं
अपने पापा की परचून की दुकान देखने वाली लड़की कब किसी से प्यार करने लगी उसे पता ही नहीं चला
वो रोज़ की तरह शाम ठीक ४ बजे पापा को दुकान से हटा कर उसके इंतज़ार में वाकमैन में ग़ज़लें सुन रही थी
अचानक आवाज़ आयी एक गोल्ड फ्लेक देना वो भरी भरकम सी आवाज़ मानो सारे शहर का मालिक हो
अब ये सब कहाँ पसंद था इतिका को ये घमंड,रुतबा रौनक तो उसको कभी पसंद था ही नहीं
वक़्त रेत की तरह निकल रहा था ये रोज़ आने जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी था
अचानक एक दिन रौनक ने कुछ पर्सनली कमेंट कर दिया आज अच्छी लग रही हो तुम इतिका
किसी अनजान शख्स के मुँह से तारीफ इतिका को रास नहीं आयी
उसने पलट कर जवाब दिया "माँ ने तमीज नहीं सिखाई"
आखें नम थी रौनक की मानो जैसे किसी रेत के ढेर पर पानी की बूँद पड़ी हो
नम आखें आसूं पी चुकी थी भरी हुयी आवाज़ में बोला "माँ होती तो सिखाती"
रौनक के कदम किसी ज़ख़्मी बाघ की तरह वापस उसकी गली की ओर लौट गए
इधर इतिका को समझ ही नहीं आया के हुआ क्या है कल तक जो लड़का कभी ठीक ढंग से बात नहीं करता था
आज उसकी आखें नम थी उसको ऐसा रौनक से नहीं बोलना चाहिए था अफ़सोस में बैठी इतिका उस रात ठीक से खाना भी नहीं खा पायी
अगले दिन बस इसी इंतज़ार में थी शाम होते ही रौनक से माफ़ी मांग लेगी
आखिर घडी में 4 बज चुके आने ही वाला होगा सोचते हुए इतिका की दिल की धड़कनें तेज़ हो गयी
4:15 बज चुके थे आया नही था वो
कहीं कल की बात से नाराज़ तो नहीं था
उदास मन से बस उसने मुँह घुमाया ही था अचानक से आवाज़ आयी कल के सौरी
तुम क्यों सौरी बोल रहे हो इतिका ने भरी हुयी आवाज़ से कहा
गलती मेरी थी मुझे नहीं बोलना चाहिए था मैं तुम्हारे बारे में क़ुछ बोलूं ये हक़ मुझे तो नही है
ख़ामोशी रही दोनों तरफ कुछ देर बाद सिगेरट का कश लेते हुए रौनक ने पूछा
"दोस्ती करोगी मुझसे" इतिका जैसे इसी सवाल के इन्तेज़ार में थी
उसने तुरंत जवाब दिया "हाँ क्यों नहीं"
अच्छा लगने लगा था रौनक उसके आस पास होने का एहसास सुकून देता था
अगले दिन इतिका ने पूछा रौनक मोबाइल नंबर एक्सचेंज करोगे?
अपने फ़ोन पर मोबाइल नंबर डायल करते हुए इतिका ने कहा मिसकोल की है सेव कर लेना मेरा नंबर
अब अच्छे दोस्त बन गए थे दोनों घंटों मोबाइल पर मैसेज से बात करते
एक दिन शॉप पर बैठे दोनों बात कर रहे थे हसी जैसे कोई कॉमेडी शो चल रहा हो दोनों के दरमियान
तुम मुझे मेरी गर्ल फ्रेंड की याद दिलाती हो इतिका! अचानक रौनक ने बोला
हसी जैसे काफूर हो चुकी जो रौनक कल तक अपना लगता था आज इतिका को किसी दूसरे की अमानत लग रहा था
आखिर क्यों इतिका को बुरा लग रहा था कहीं वो रौनक से प्यार तो. ....शायद हाँ
कपकपाते हुए होंठों से उसने पूछा गर्लफ्रेंड ??? तुमने पहले तो कभी नहीं बताया
3 साल पहले उसकी स्कूटी से एक्सीडेंट में मौत हो चुकी है"रौनक ने भीगी आंखों से बोला"
ओह आइ यम सोर्री कहते हुए कहीं न कहीं इतिका को ये तसल्ली हुयी के उसकीलाइफ में कोई नहीं है
पर मन में अफ़सोस भी था के रौनक दुखी है
उस शाम रौनक चुप चाप चला गया वहां से
रात तकरीबन 11 बजे एक टेक्स्ट आया मोबाइल उठा के इतिका ने देखा
रौनक का मैसज था जैसे ही उसने देखा उतने में रौनक का कॉल आगया
इतिका मैं तुमसे प्यार करता हूँ नहीं जानता हम कभी एक होंगे के नहीं
हमारी शादी शायद मुमकिन नहीं मेरे घर वाले कभी मानेगे नहीं
पर फिर भी तुमसे इतना कहना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ रहना तुम्हारे पास रहना अच्छा लगता है
अकडू हूँ जनता हूँ पर तुम्हारे पास आकर पराया जैसा एहसास नहीं होता
तुम समझती हो न मुझे?हम्म "इतिका से जवाब दिया"
फिर बोली "रौनक जैसा के तुमने कहा हम कभी शादी नहीं कर सकते"
कुछ मांगू तो दोगे ?
रौनक ने बोला हाँ क्यों नहीं माँगो क्या चाहिए
इतिका बोली मैंने आज तक किसी लड़के से इतनी बात नहीं की
हाँ मुझे तुम्हारे साथ रहना तुम्हारे पास रहना अच्छा लगता है
ठीक है के हम कभी शादी नहीं कर सकते
पर हम कभी अलग नहीं होंगे
तुम शादी कर लेना मना नहीं करुँगी
पर मैं अपनी ज़िन्दगी में तुम्हारी जगह किसी को नहीं दे सकती न देना चाहती हूँ
मैं तुमसे शादी नहीं भी करूँ पर जीवन संगिनी तुम्हारी ही रहूंगी
मैं कभी शादी नहीं करुँगी
मुझे ये वादा चाहिए तुमसे के तुम शादी कर के घर बसा लोगे
और कभी मेरा ज़िक्र अपने आने वाले कल में नहीं लाओगे
और हाँ सिगरेट छोड़ देना अच्छा नहीं लगता मुझे और
और अब हम कभी नहीं मिलेंगे तुम शॉप पर मत आना
अब बिखरी तो शायद संभल ना पाऊं
खामोश था रौनक शायद रो रहा था फोन लिने पर बस एक शब्द बोला इतिका "आइ लव यू "
और बस फिर सन्नाटे में एक ग़ज़ल के साथ कॉल कट हो गयी.......
अदावतें थी तगाफुल था रंजिशें थी मगर
बिछड़ने वाले में सब कुछ था बेवफाई न थी