अनकही कहानी
अनकही कहानी
"माँ वो मुझे ले जायेगा, बचाओ!" आधी रात को रवि की चीख से सब डर गए। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की ये क्या हो रहा है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ था। जबसे रवि ५ साल का हुआ था तबसे उसको रात को कुछ डरावने सपने आ रहे थे। पहले तो सबने सोच की ये सब उन टीवी सीरियल्स का असर है जो वो देखता है पर अब सबको डर लगने लगा था।
"कौन तुम्हे ले जायेगा ? तुम किसी बात कर रहे हो ?" रवि की माँ ने जब रवि से पूछा तो रवि खुद कुछ समझ नहीं पाया। सब सोचा की छोटा है, कुछ देख लिया होगा इसलिए डर गया। ये सोच रवि के माता-पिता रवि को अपने कमरे मैं ले गए और सुला दिया। समय बीतता गया पर ये सपने बंद नहीं हुआ बल्कि और खतरनाक होते गए। अब रवि को लगने लगा की कोई उसे मारना चाहता है।
कुछ समझ नहीं आ रहा था पर जैसा की हमेशा से होता आया है, रवि के माता-पिता ने पूजा, मंदिर, और यहाँ तक की फ़क़ीर बाबा को भी दिखाया। जिसने जो उपाय बताये उन्होंने वो उपाय अपना लिए। पर जब कोई असर नहीं हुआ तो वो घबरा गए। जब ये बात रवि के छोटे चाचा को पता चली तो उन्होंने एक साइकेट्रिस्ट का नंबर दिया।
इस पर रवि के पिता बेहद गुस्सा हुए और सिर्फ एक बात बोली, "मेरा बेटा पागल नहीं है।" गुस्साए भाई तो समझने मैं चाचा को काफी दिन लग गाये पर जब वे मान गए तो लगा की अब कुछ हाल मिल ही जायेगा। फिर वो दिन भी आ गया जब सबक रवि को लेकर साइकेट्रिस्ट के पास गए।
पूरी बात समझने के बाद साइकेट्रिस्ट ने हिप्नोटिस्म का उपाय सुझाया। उनके मुताबिक अगर रवि को कोई बात डरा रही है और वो नहीं जनता की वो क्या है तो हिप्नोटिस्म की मदद से उसके सब-कॉन्ससियस माइंड को जगा कार जवाब मिल सकता है। साथ ही इसमें कोई खतरा भी नहीं है।
सब मान गए। अगले दिन जब हिप्नोटिस्म की मदद से रवि से पूछ गया की बात क्या है तो सब हैरान हो गए। रवि जो बोल रहा था उस पर किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था।
"मेरा नाम नवीन है। मैं राजस्थान के एक छोटे से कसबे से हूँ। वह मेरी खेती है और पूरा परिवार है। कुछ लोग हमारी ज़मीन पर एक फैक्ट्री डालना चाहते है और हमसे ज़मीन लेना चाहते है। इसमें से एक मेरा दोस्त है। मेरे मन करने पर उसने मुझे धोका दिया और वही खेत मैं मार दिया।" रवि ने बताया।
ये सुन सब हैरान हो गए। ऐसा लग रहा था की रवि मानो कोई और था। रवि के माता-पिता ने सच पता करने की जब कोशिश की तो मानो उनके पैरों के निचे से ज़मीन निकल गयी। रवि ने जो बोलै था सब सच था। यह सब आज से ७ साल पहले ही हुआ था और रवि अभी ६ साल का है।
अब सवाल ये था की रवि अभी भी क्यों डरा हुआ है। ऐसा लग रहा था की अभी भी कोई बात है जो रवि जनता है पर दूसरे नहीं। साइकेट्रिस्ट की मदद से जब और कोशिश की गयी तब रवि ने कई और ऐसी बातें बताई। हैरानी की बात तो यह थी की रवि ने अपने माता-पिता के बारे मैं भी बताय जो आज से कई साल पहले गुजरात मैं रहते थे और रवि तब उनका बेटा था।
हर बात रवि की सच निकालती गयी पर मानो रवि के अलावा कोई और कुछ नहीं जनता था। जब रवि का सेशन ख़त्म हुआ तब रवि खुश था। अब रवि को डर नहीं था। पर उसके माता-पिता और बाकि सब कुछ समझ नहीं पा रहे थे। ऐसा लग रहा था की वो रवि नहीं कोई और है जो सबको जानता है पर कोई उसको नहीं जानता।
ये आज भी एक गुत्थी है पर सच सिर्फ यही है की अब रवि खुश है और अपने माता-पिता के साथ बिना किसी डर के रह रहा है।