madhu modi

Romance Tragedy Inspirational

4.7  

madhu modi

Romance Tragedy Inspirational

अनजान रिश्ता

अनजान रिश्ता

6 mins
579


काव्या का पेंटिंग ब्रश चल रहा था। एक बड़ी सुंदर सी पेंटिंग उभर रही थी। काव्या को खुद भी अंदाजा नहीं था कि वह क्या बना रही है और क्या बनाना चाहती है? बस कल्पनाओं में बसे उस दृश्य को ही आगे ला रही थी जिसे वह सपने में हर रोज देखा करती थीं।

एक सुंदर सा राजकुमार घोड़े पर सवार होकर अपनी राजकुमारी की तरफ आ रहा था। उसकी आंखों के सामने 1 साल पहले का दृश्य जीवंत हो गया।

उसकी सबसे प्यारी सहेली नीलिमा की शादी थी। डेस्टिनेशन वेडिंग थी इसलिए कुछ गिने-चुने मेहमान ही थे। माउंट आबू के एक खास होटल में शादी का सारा प्रबंध था। नीलिमा के पिताजी अच्छे खासे धनवान थे।

स्विमिंग पूल के पास ही मेहंदी का प्रोग्राम था। काव्या और उसकी सभी सहेलियां खूब मस्ती कर रही थी। म्यूजिक चल रहा था कोई नाच रहा था कोई ड्रिंक ले रहा था। नीलिमा के मम्मी और उसके घर की सभी महिलाएं रस्मों रिवाजों में बिजी थी। लेकिन नीलिमा के भाई के कुछ दोस्त भी आए हुए थे। उनमें एक रेहान नाम का लड़का था।

रेहान का सारा ध्यान काव्या की तरफ ही था। सिल्कके कुर्ते पजामे में रेहान बिल्कुल राज कुमार लग रहा था। काव्या भी पिस्ता रंग के लहंगा चोली में खूब गजब ढा रही थी। उसके लंबे लंबे इयररिंग्स उसके गालों को बार-बार छू रहे थे। कुल मिलाकर सभी लड़कियों में वह सबसे सुंदर लग रही थी। रेहान के लिए तो उस पर से नजर हटाना भी मुश्किल था। वैसे भी काव्या बहुत चुलबुली थी भागती दौड़ती फिर रही थी।

तभी डांस कंपटीशन शुरू हो गया। काव्या के आगे तो कोई टिक ही नहीं सकता था क्योंकि वह अपने कॉलेज की बेस्ट डांसर थी। रेहान की बारी आई तो काव्या को कठिन चैलेंज मिला। आखिरकार दोनों मे टाइ हो गया। लेकिन इसी तरहदोनों एक दूसरे के करीब आ गए और आंखों ही आंखों में कुछ बातें हो गई। शादी में दोनों का ध्यान एक दूसरे की तरफ रहा लेकिन दिल की बात जुबान पर ना आ सकी।

शादी खत्म हो गई और जाने का वक्त भी आ गया। सभी बस में सवार होकर एयरपोर्ट की तरफ जा रहे थे। पता नहीं कैसे एक्सीडेंट हो गया और कोहराम मच गया।

काव्या की आंख खुली तो उसने अपने आप को किसी हॉस्पिटल में एक बेड पर पाया । उसके माता पिता और उसके परिवार वाले उसके आसपास खड़े थे। पूरे 3 दिन बाद उसे होश आया था। नर्स भाग कर गई और डॉक्टर को बुला कर लाई। काव्या के मुंह से कोई भी आवाज नहीं निकली । उसने कुछ बोलने की कोशिश की लेकिन इससे पहले कि वह कुछ बोल पाती वह फिर से बेहोश हो गई।

डॉक्टर ने कहा इसे गहरा सदमा लगा है लेकिन शुक्र है कि इसे होश आ गया। काव्या को काफी चोट लगी थी। डॉक्टर ने कहा इस समय इसे आराम की सख्त जरूरत है। कृपया इसे डिस्टर्ब ना करें। अब जब दोबारा आंख खुलेगी तो पता चलेगा की कहां कहां चोट लगी है।

रात को काव्या की आंख खुली तो देखा मां कुर्सी पर बैठी सो रही थी। उसने धीरे से मां को आवाज दी। लेकिन मां को पता नहीं लगा। काव्या ने खुद से ही धीरे से उठने की कोशिश की लेकिन उससे उठा नहीं गया। वह बेचैन हो गई। तभी मां की आंख खुल गई थी। मां ने उसे सहारा देकर बिठा दिया।

मां ने ईश्वर का लाख-लाख शुक्र किया। काव्या को अब याद आया की बहुत ही भयंकर एक्सीडेंट हुआ था और उसके बाद उसे होश नहीं रहा। उसने मां से पूछा बाकी सब कहां पर है?

मां ने रोते-रोते बताया कि सब को बहुत चोट लगी है। शुक्र है तुम्हें होश आ गया एक बार तो डॉक्टर ने तुम्हारे बचने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। काव्या को ऐसे लगा जैसे कि वह भगवान के द्वार पर जाकर वापस आ गई।

एकदम ही उसके दिलो-दिमाग में एक अजीब सा बदलाव आ गया। यह दुनिया उसे अब एक मोह लगने लगी थी। भगवान ने उसे बचा लिया तो शायद कोई काम बाकी था अभी जिंदगी में उसे यही लगा।

खैर कुछ दिनों बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई काव्या बिल्कुल ठीक होकर अपने घर लौट आई लेकिन अब उसका ध्यान कुछ अलग चीजों पर चला गया। संसार में दुख सुख को वह बहुत ध्यान से देखने लगी। अब उसका मन करता कि वह सब के साथ सबके दुख दर्द बांटे।

वह चाहती थी वह किसी समाज सेवा संस्था के साथ जुड़ जाए और कुछ देर गरीबों की सेवा करें। उसे महसूस हो रहा था कि अब जीवन को व्यर्थ नहीं करना है।

अब अलग ही दिशा में उसका जीवन मुड़ गया था वह कहते हैं ना कि अगर मन को तलाश हो तो भगवान अवश्य उसे पूरा करते हैं।

उसको जीवन में एक मार्गदर्शन करने वाले गुरुजी मिल गए। बहुत ही प्रभावशाली गुरु जी थे। काव्या ने उनकी संस्था जॉइन कर ली और अब वह उनके मार्गदर्शन में बड़े ही अच्छे काम करने लग गई।

अब तो दिन रात अपने गुरु जी के मार्गदर्शन में कार्य करती और अधिक से अधिक समय लोगों की सेवा में व्यतीत करने लग पड़ी।

उसे लग रहा था जैसे जीवन का सही आयाम उसे मिल गया। गुरुजी के आश्रम बड़े ही अच्छे अच्छे शहरों में थे। अक्सर काव्या को अलग-अलग शहरों में जाना पड़ता था क्योंकि उनके गुरु जी के कई प्रोग्राम्स होते थे।

काव्या अब जीवन का कोई भी समय व्यर्थ नहीं करना चाहती थी। ऐसे में उसका सामना हुआ रेहान से गुरु जी के ही किसी आश्रम में।

वह भी गुरुजी से ही जुड़ा हुआ था। रेहान भी गुरु जी से बहुत प्रभावित था। उसने आश्रम का काफी कार्यभार संभाला हुआ था। एक तरह से उसने भी अपना जीवन गुरु जी को ही समर्पित किया हुआ था।

वास्तव में जब एक्सीडेंट हुआ था तो रेहान ने काव्या को ढूंढने की काफी कोशिश की लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली। उसे लगा जैसे उसने काव्या को खो दिया है। उसके लिए भी यह सदमा बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल था।

किस्मत की बात देखो दोनों ही एक ही गुरु जी से जुड़े हुए थे और भलाई के कार्यों में लगे हुए थे। एक तरह से उन्होंने एक दूसरे को भुला भी दिया था क्योंकि उन्होंने अपना जीवन तो अच्छे कामों में ही समर्पित कर दिया था लेकिन कहते हैं कि जब प्रकृति की तरफ से हम अच्छे कार्य करें तो प्रकृति उससे दुगना या कई गुना हमारे लिए कार्य करती हैं।

रेहान और काव्या का जब सामना हुआ तो दोनों एक दूसरे को देखते ही रह गए । अपने ईश्वर पर उनका भरोसा विश्वास और भी पक्का हो गया।

काव्या अक्सरपेंटिंग्स करती रहती थी लेकिन ना जाने क्यों जब भी वह पेंटिंग्स बनाती तो वही चित्र बन जाता अनजाने में किसी राजकुमार का। आज उसका राजकुमार उसके सामने खड़ा था। अब तो जैसे ईश्वर की ही इच्छा थी काव्या को उसके राजकुमार से मिलवाने की।

रेहान और काव्या के रास्ते तो अब एक ही थे इसलिए अब उनको अलग होने से कोई भी नहीं रोक सकता था। गुरुजी के आश्रम में ही उनकी शादी का उत्सव हुआ और दोनों ने आजीवन गुरुजी के आश्रम में ही रहने का प्रण कर लिया।

दोनों ने अपना जीवन गुरु जी के मार्गदर्शन में बिताने का प्रण ले लिया और गुरु जी के आशीर्वाद से उनके जीवन को एक सही दिशा मिल गई।

जीवन में अगर कभी कुछ बुरा होता है तो वह हमारे अच्छे के लिए ही होता है। काव्या और रिहान का अगर एक्सीडेंट्स ना होता तो शायद उनके जीवन की दिशा कुछ और ही होती लेकिन अब जो जीवन की स्थितियां उनके सामने आई वह शायद भगवान किसी किसी को ही इस जन्म में देता है। किसी गुरु के मार्गदर्शन में अपना जीवन अर्पण कर देना मेरे ख्याल से जीवन में इससे बड़ा आशीर्वाद कोई नहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance