अंधविश्वास
अंधविश्वास
सारा दिन इधर उधर की बातें करती हो, पढ़ाई में ध्यान क्यों नहीं लगाती! भगवान ने इतना अच्छा दिमाग दिया है तुम्हें। पढ़ लोगी तो जीवन में कुछ बन पाओगी।"
"मैं कितना भी पढ़ लूं, पर मैं कुछ नहीं बन सकती ना मैडम !"
"क्यों?" उसके मुंह से ऐसी बात सुन मैंने चौंकते हुए पूछा
"मेरी मां और दादी मुझे हर रोज़ कहती है कि तुम अमावस की काली रात को पैदा हुई थी और उस दिन से ही हमारे बुरे दिन शुरू हो गए थे। पता नहीं कैसी किस्मत लेकर आई है। इसलिए मैडम मैं पढ़ती ही नहीं। जब मेरी किस्मत इतनी ही खराब है तो फिर पढ़ने से क्या फायदा ?"
उस 10 वर्षीय बच्ची की बात सुन मानो किसी ने मुझे मेरे अतीत में धकेल दिया हो। मेरा बचपन मेरे सामने आकर पुनः खड़ा हो गया हो। ओहो क्या विडंबना है। मैंने अपने आप को संभालते हुए उससे कहा "तुम्हें पता है कि हमारी किस्मत हमारे ही हाथ में होती हैं और उसे हम बदल सकते हैं !"
"कैसे मैडम ?"
"मेहनत से। तुम खूब मन लगाकर पढ़ो। फिर देखो तुम्हारी किस्मत कैसे बदलती है। मेहनत व ईमानदारी से किया गया कोई भी काम कभी भी असफल नहीं होता।"
"लेकिन मैडम वह तो कहती हैं, अमावस के दिन पैदा होने वाले की किस्मत में सिर्फ अंधेरा लिखा होता है। वह जीवन में कुछ नहीं कर सकता।"
"यह उनकी गलत धारणा है और तुम्हें उसे बदल कर दिखाना है। अपनी मेहनत व लगन से तुम्हें उस अंधविश्वास रूपी अंधकार को मिटाकर अपने जीवन में शिक्षा का प्रकाश फैलाना है। फिर देखना तुम्हारा भविष्य तुम्हारी मुट्ठी में होगा। " यह सब सुन उसकी आंखों में आशा की किरण झिलमिलाने लगी।