"अमल"
"अमल"
सात दिनों से शहर के विष्णु मंदिर में श्री विपिन बिहारी शास्त्री जी की राम कथा चल रही थी और सारी कॉलोनी की औरतों ने शाम का 4:00 से 7:00 का समय वहां के लिए समर्पित कर दिया था।
आज रमा की पड़ोसन ने उससे भी चलने को बोला तो यह सोचकर कि अन्तिम दिन है। वह भी कुछ अच्छा ग्रहण कर आये, वह भी चल पड़ी।
समां बंधा हुआ था। भजन चल रहा था सभी महिलाएं भक्ति रंग में रंगी संगीत की धुन पर नृत्य कर रही थी, झूम रही थी। बहुत ही धार्मिक वातावरण था।कुछ देर बाद विपिन बिहारी जी के श्री मुख से नीति- ज्ञान की बातें मुक्त होकर वातावरण में फैलने लगीं। स्त्रियों को अपने पति को परमेश्वर मानना चाहिए।जिस प्रकार ऊपर बैठे प्रभु इस संसार के समस्त प्राणियों के परमेश्वर हैं और सभी का ध्यान रखते हैं, उसी प्रकार घर परिवार में घर का मुखिया होता है जो परिवार के समस्त सदस्यों की जरूरत का ध्यान रखता है। संसार के समस्त प्राणी उस ईश्वर की संतान हैं। आपस में प्रेम- भाव से रहना चाहिए।
विपिन बिहारी जी कि यह वाणी प्रवाहित हो रही थी। अपनी गृहस्थी को त्याग और संयम से सजाना चाहिए। स्त्रियों का पहला धर्म है अपने पति और बच्चों की देखभाल करें, बाकी के सांसारिक कार्य बाद में....
और इधर रमा सोच रही थी कि यह सभी महिलाएं इन्हीं बातों को सुनने आती हैं। घर के सभी कामकाज छोड़ देती हैं तो ग्रहण क्या कर रही हैं???
रमा बीच में ही उठ गई और शास्त्रीजी की बातों पर अमल करने घर की ओर चल पड़ी।