Akanksha Gupta

Drama

5.0  

Akanksha Gupta

Drama

सूर्य-चन्द्र।

सूर्य-चन्द्र।

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चन्द्र और सूर्य बहुत दिन बाद मिल रहे थे। दोनों ने बहुत प्रतीक्षा की थी इस दिन की, जब दोनों को अंतिम अलविदा कह कर अपने-अपने कर्तव्य पालन के लिए अग्रसर होना था।


सूर्य- “क्या अब हम कभी नहीं मिलेंगे? हम कोई न कोई रास्ता निकाल सकते है”


चन्द्र- “जो रास्ता है, वह गलत है और दोनों परिवार के मध्य एक ना खत्म होने वाली रंजिश की वजह बन जायेगा। इसलिए हमारा अलग होना ही ठीक है”


सूर्य- “समाज की इन खोखली परंपराओं के नाम पर हमारा प्यार दम तोड़ रहा है और हम कुछ भी नहीं कर सकते है”


चन्द्र- “क्योंकि हम किसी की मौत के जिम्मेदार नहीं हो सकते। तुम पिछली बातें कैसे भूल सकते हो? जब हमारे सामने ही एक प्रेमी-प्रेमिका को बेरहमी से मार दिया गया था। उनके परिवारों में आज तक दुश्मनी है, जिसमें न जाने कितनी ही जाने गई है”


सूर्य- “तो क्या यह तुम्हारा आखिरी फैसला है? क्या तुम जीवन में खुश रह सकती हो मेरे बिना?”


चन्द्र- “खुशी का तो पता नहीं लेकिन तुम्हारे जीवन की सुरक्षा की तसल्ली रहेगी”


सूर्य- “और मुझे भी। अब अलविदा कहने का समय आ गया है। उम्मीद करता हूँ कि हम दोनों ही खुश रह सके”


फिर दोनों चल दिए अपने-अपने रास्ते पर कभी न मिलने के लिए।


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