अहिंसा से हिंसा
अहिंसा से हिंसा
मैने गाँधी जी की नगरी अहमदाबाद गया था! वहां मैने शाम को घूमने के बहाने शहर मे फिल्म देखने निकला ! शहर मे गांधी फिल्म लगी हुई थी ! शहर के सारे बुद्धिजीवी वर्ग के लोग उस अहिंसा के पुजारी के दार्शनार्थ हॉल की ओर उमड़ पड़ा !
टिकट खिड़की पर इतनी भीड़ थी की एक हाथ भी अन्दर टिकट लेने के लिए भी मुश्किल था ! देखते ही देखते टिकट खिड़की पर काफी भीड़ बढ गई ! कुछ ही पलो मे लोगो मे गर्मा गर्मी शुरू हो गई और फिर बात हाथापाई पर पहूच गयी !
यह कैसी विडम्बना थी , की अहिंसा के पुजारी के फिल्म को देखने के लिए लोगो को हिंसा का सहारा लेना पड़ रहा था ! वो भी अहिंसा के नगरी मे वाह !