अचानक
अचानक


"फ़िर यहां ! आस-पास भी मत आना, जानते नहीं वायरस कितने तेज़ी से फैल रहा हैै।", बंटी का कान ममोड़तेे सुुमन डांट रही थी। "मम्मा ! तो क्या दादी के पास न जाए?" बिंटी चिल्ला उठा।
"उनकी तबियत ख़राब रहती है न और उम्र भी हो गई।
ऐसे में संक्रमण बढ़ने का आशंका है न। इसलिए तो कहती हूं उनसे दूर रहो।" सुमन समझाना चाही।
"और आप ! आप तो बच्ची नहीं। मना कर सकती है न उसे अपनेपास आने से, हमें भी मारने का विचार है?", सारा गुस्सा सुमन सास पर दे मारी।
सुनते ही सास की आंखें डबडबा गई पर चुप रही।
"क्या भई ! सुबह-सुबह हल्ला-गुल्ला", पति साहिल सामने खड़ा था।
"और मां तुम पड़ी हो ! उठो छुट्टी का समय है। एक साथ रहने का अच्छा मौका क्यों गवाना ? साथ रहेंगे एक दूसरे का ख्याल रखेंगे। और वैसे भी बचाव करने के लिए कहां गया है अपनों से दूर रहने के लिए थोड़ी न।
चलों उठो-उठो।", साहिल ने सारी बातें सुन ली थी। "पर साहिल... !", सुमन टोकी।
"क्या पर-वर ! छोड़ो ये सब। आज का शेड्यूल बना लो, दिन भर क्या-क्या करना है। साहिल का बदला रंग सुमन के चेहरे का रंग ही उड़ा दिया। चाह कर भी सुमन कुछ न बोल पाई।