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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Inspirational

आवारा बादल ( भाग 35)प्रयास

आवारा बादल ( भाग 35)प्रयास

6 mins
400

अग्रवाल साहब ने एक और नौकर रामू काम पर रख लिया । खाना बनाने के अलावा घर का सारा काम रामू के जिम्मे कर दिया गया । रवि को केवल नाश्ता, लंच और डिनर तैयार करना था जिसमें उसकी मदद रेणू जी और मृदुला को करनी थी । 

रवि जब तक अपने कमरे से निकलकर आता तब तक पूरा घर साफ सुथरा चकाचक हो गया था । रवि को बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज अचानक यह कैसे हो गया ? वह कुछ सोच पाता इससे पहले ही रेणू जी ने रामू को बुलाते हुए कहा "शिवा, ये रामू काका हैं । अब से घर का सारा काम ये ही करेंगे" । 

रवि यह सुनकर चौंका और उसने सीधे रेणू जी के पैर पकड़ लिये । वह रोते रोते बोला "हमसे क्या गलती हो गई मैडम जी, जो आप हमसे इस कदर नाराज हो गई कि हमें नौकरी से भी निकाल दिया ? एक बार हमारी गलती तो हमको बता देते फिर चाहे नौकरी से निकाल देते । मैं चूं भी नहीं करता "। उसकी आंखों से गंगा जमना बहने लगी । 

"नहीं बेटे, ऐसी बात नहीं है । हम तुमको क्यों निकालेंगे यहां से ? तुमसे कोई गलती नहीं हुई है । काम थोड़ा ज्यादा हो गया है इसलिए रामू काका को और रख लिया है तुम्हारी मदद के लिए । अब तुम केवल खाना और नाश्ते का काम करोगे , बाकी काम रामू काका करेंगें । और यह व्यवस्था मैंने नहीं , मृदुला ने की है" । रेणू जी ने उसे चुप करवाते हुए कहा । 

रवि ने प्रश्नवाचक निगाहों से मृदुला की ओर देखा कि क्या उसने सब कुछ उन्हें बता दिया था ? मृदुला ने इंकार में सिर हिलाते हुए जवाब दिया कि उसने कुछ नहीं बताया है । इससे रवि थोड़ा आश्वस्त हुआ । 


बाद में मृदुला ने उसे आई ए एस परीक्षा की तैयारी करने के लिए कहा तो रवि कहने लगा "मैं और आई ए एस ? एक छोटा सा आदमी इतनी बड़ी परीक्षा कैसे दे सकता है ? इसके लिए तो बहुत पैसा और समय चाहिए जो मेरे पास नहीं है । मैं किस तरह दे पाऊंगा यह परीक्षा" ? 

"दुनिया में जितने भी आदमी बड़े बने हैं , पहले वे सब छोटे , मामूली से ही आदमी थे । मगर अपनी काबिलियत और मेहनत से वे कहाँ से कहाँ पहुंच गये । तुम काबिल हो यह तुमने बिना कॉलेज जाये 80% अंक लाकर सिद्ध कर दिया है । मेहनती गजब के हो , यह हम अच्छी तरह जानते हैं । रही बात मार्गदर्शन की तो कल मैं हमारी कॉलेज के प्रोफेसर श्रीवास्तव साहब को यहां लेकर आऊंगी । वे तुम्हारा मार्गदर्शन कर देंगे" । 

"मुझे डर लग रहा है । मैं यह नहीं कर पाऊंगा" 

"डर क्यों लग रहा है । तुम्हें तो कभी डर लगता ही नहीं था । फिर आज यह कहां से घुस आया चुपके से" ? 

"पता नहीं कहां से घुस आया है , मगर डर बहुत जोरों का लग रहा है " 

"डर किस बात का है, जरा हमें भी तो बताओ" 

"डर का कारण एक ही है कि अगर मैं पास नहीं हुआ तो" ? 


मृदुला को बड़ी जोर से हंसी आ गयी । उसे हंसते देखकर रवि झेंप गया । 

"सॉरी, सॉरी, सॉरी । मुझे हंसना नहीं चाहिए था मगर मैं क्या करूँ ? हंसी अपने आप ही निकल पड़ी । अच्छा एक बात बताइए कि क्या तुम्हें बी ए की परीक्षा देते हुए डर लगा था" ? 

रवि थोड़ी देर खामोश रहा और सोचता रहा फिर बोला "नहीं" 

"क्यों " ? 

रवि ने फिर सोचा और सोचकर कहा "क्योंकि मुझे विश्वास था" 

"किस पर" ? 

"खुद पर" 

"तो क्या अब नहीं है" ? 

रवि फिर सोच में पड़ गया । सच में उसे अब खुद पर विश्वास नहीं है। फिर बोला "हां" 

"क्योंकि तुमने पहले ही हार मान ली है । एक हारा हुआ व्यक्ति जीत कैसे सकता है ? इसलिए तुम्हें डर लग रहा है । सबसे पहले तुम्हें इस डर पर विजय प्राप्त करनी होगी , तब जाकर तुम आई ए एस बन पाओगे" । 


रवि को बात समझ में आ गयी थी । उसे लग रहा था कि यदि वह मेहनत करे और मृदुला की तरह कोई उसे समझाने का प्रयास करे तो सफलता अवश्य मिलेगी । रवि ने मृदुला से कहा "आप तो स्वंय बहुत बड़ी मोटिवेशनल स्पीकर हैं । आपके रहते किसी और की जरूरत नहीं है मुझे । आप तो बस इतना सा काम कर दीजिए कि किसी ऐसे बंदे से मिला दीजिए जो या तो आई ए एस दे रहा हो या फिर उसने यह परीक्षा पास कर ली हो । वो मुझे इसके बारे में अच्छे से बता सकेगा" । 


मृदुला को रवि की बात एकदम सही लगी । जिसने आई ए एस परीक्षा पास कर ली हो , उससे बढिया तो और कोई मार्गदर्शक हो ही नहीं सकता है । उसे रवि का आईडिया बहुत पसंद आया । उसने तय कर लिया था कि वह अपने सभी परिचितों से इस संबंध में जिक्र करेगी । 


अब इस घर में मृदुला रवि की केयर टेकर बन गई थी । उसे क्या खाना है, क्या पीना है ? कब सोना है और कब जगना है ? यह सब वह खुद तय करने लगी । वह खुद से भी ज्यादा ध्यान रवि का रखने लगी । रेणू जी मृदुला में हुए इस परिवर्तन को महसूस कर रही थी मगर वे चुप ही रही । 


दो तीन दिन के बाद मृदुला के साथ एक युवक आया । मृदुला ने उसका परिचय करवाते हुये कहा " ये हैं मिस्टर अभिनव । अभी इस वर्ष ही इनका आई ए एस में चयन हुआ है । अपने ही शहर के हैं । इन्होंने प्रथम प्रयास में ही 21 वीं रैंक हासिल कर ली है । बहुत इंटेलिजेंट हैं ये । और हां , इन्होंने भी बी ए ही किया है" । फिर मृदुला ने रवि का परिचय करवाते हुए कहा "अब इनसे मिलिये । ये हैं मिस्टर रवि । अभी इसी साल 80% से बी ए पास किया है" । 


फिर सब बैठकर गपशप करने लगे । रवि ने देखा कि आई ए एस में चयन होने के बाद चेहरे में गजब का परिवर्तन हो जाता है । भाव भंगिमा बदल जाती है और खुद को सुपरमैन समझने लग जाता है वह आदमी । अभिनव के चेहरे पर अभिमान का तेज साफ साफ चमकने लगा था । रवि ने उसकी तैयारियों के सिलसिले में विस्तार से बात की । प्रिलिम्स की तैयारी, किताबों के बारे में भी बात की और वैकल्पिक विषयों में से प्रिलिम्स में कौन सा और मेन्स में कौन कौन से विषय लेने चाहिए, इस पर डिटेल में चर्चा की । 


अभिनव ने इस पर रवि को अच्छी तरह से बताया । सामान्य ज्ञान की तैयारी कैसे करनी है ? कौन कौन सी किताबें उपयोगी रहेंगी । कौन कौन सी मैगजीन, अखबार पढ़ने होंगे, ये सब भी बताया । किताबों की तो बड़ी लंबी सूची बन गई थी । मृदुला ने कहा "कल मैं अनुभव जी को साथ लेकर ये सारी किताबें ले आऊंगी, तुम चिंता मत करो" । रवि मुस्कुरा कर रह गया । 

दूसरे दिन मृदुला वे सब किताबें लेकर आ गई जो अनुभव ने लिखवाई थी । कम से कम पचास किताबें थीं । वे सब रवि को पढनी थीं । वो भी छ: महीने के अंदर । यह सोचकर मृदुला खुद हतप्रभ रह गई । मगर उसने अपने चेहरे से ऐसा कुछ प्रकट नहीं होने दिया । 


रवि के धैर्य, साहस और बुद्धमत्ता का इम्तिहान था । रवि एक तपस्वी की तरह तपस्या करने मैदान में कूद पड़ा । उसने अपना टाइम टेबल बना लिया और उस पर कठोरता से चलना शुरू कर दिया । रवि अब घर का कोई काम नहीं करता बल्कि रामू काका उसके कमरे का झाडू पोंछा कर जाते थे । किचन रेणू जी ने संभाल ली थी और मृदुला ने रवि को संभाल लिया । ऐसा लग रहा था कि मृदुला की जिंदगी का बस एक ही लक्ष्य है रवि को आई ए एस बनवाना । इस लक्ष्य को पाने के लिए मृदुला ने दिन रात एक कर दिये । 



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