आत्मसम्मान
आत्मसम्मान
अपना सम्मान आप करने के भाव को आत्म सम्मान कहते हैं । जो व्यक्ति अपना सम्मान आप नहीं कर सकता उसका दूसरे लोग सम्मान क्यों करेंगे? जो स्वयं अपने ऊपर भरोसा नहीं करता, दूसरे लोग उस पर भरोसा किस प्रकार कर सकते हैं? एक विद्वान ने ठीक ही कहा है - आत्मविशसी की कमी ही हमारी बहुत-सी असफलताओं का कारण होती है। स्वयं के विश्वास में हीं सकती है।जिन्हें अपनी शक्तियों पर विश्वास नहीं होता । वे सबसे कमज़ोर है, चाहे वे कितनी ही शक्तिशाली क्यों ना हो। जिस व्यक्ति को अपनी शक्तियों पर भरोसा होता है। महाराणा प्रताप , छत्रपति शिवाजी आदि भारतीय वीरों के स्वाभिमान की गाथाएँ आज तक भारत के भला सम्मान भला को उन्नत किए हुए हैं। आत्मसम्मान करने वाला व्यक्ति दूसरों का भी उतना ही सम्मान करता है, जितना अपना सम्मान। जिस व्यक्ति के अंदर आत्म सम्मान होता है, उसमें दूसरे उच्च गुण स्वतः आ जाते हैं । मनुष्य के दुर्गुणों को वश में करने की पहली सीढ़ी आत्मसम्मान ही है।