आफिस की पहली मुलाकात
आफिस की पहली मुलाकात
हाय.... हैलो... लगता है आप आज ही आईं है। जी मैने आज ही ज्वाईन किया है, हूँ...हूँ...... मेरा नाम सुनील है,और आप। जी प्रिया। उफ्फ़ आप तो बिलकुल नाम के अनूरूप हो। जी शुक्रिया अरे मै सच कह रहा हूँ आप अपने नाम की तरह प्यारी हो, वैसे मै यहाँ पर पिछले पाँच साल से हूँ,मेरी सभी से जान-पहचान है,कोई काम या परेशानी हो तो कहना, यूँ चुटकी बजा के काम करते हैं हम तो।। ओ. के.कभी कोई ऐसी बात हुई तो आप से कहेंगे। तो फिर हम दोस्त ?
मुस्कराकर .. जी हाँ। चलिए फिर तो एक कप चाए हो जाए। माफ़ किजिए.. बास ने कुछ अर्जेन्ट काम दिया है, पहले वो निपटा लूँ, ब्रेक मे पी लेंगे। ब्रेक में सुनील प्रिया को कैंटीन गये, और दो चाय और कुछ खाने का आर्डर दिया, और प्रिया के साथ सट कर बैठता है। सुनील प्लीज़ आप सामने वाली कुर्सी पर आ जाऐं। अरे यार साथ दोस्त साथ मे बैठे अच्छे लगते है दूर-दूर नहीं। हम तो वैसे भी दोस्तो को कभी भी केला नही छोड़ते। चाय, स्नैकस आ गए, प्रिया आज हमारी दोस्ती का पहला दिन है, आज तो मै अपने हाथों से खिलाऊँगा तुम्हें।सुनील मेरे पास हाथ हैं, अरे यार तुम तो बुरा मान गई, ओह तुम्हारे चेहरे पे कुछ लगा है,
मैं हटा देता हूँ, .. चटाक... सुनील के चेहरे पर तमाचा, तुम सब मर्द एक जैसे होते हो, मुझे नही चाहिए ऐसे दोस्त। आपने क्या समझा, कि आप अपनी चिकनी चुपड़ी बातो से मेरा चरित्र खरीदोगे, मिस्टर सुनील आज की औरत इतनी कमज़ोर नही रही, आज की औरत मर्द के साथ कँधे से कँधा मिला कर चलती है तो मुकाबला करना भी जानती है, अपना अस्तित्व बचाना भी । आप जैसे कुछ लोगो ने ही सँसार मे गँदगी फैलाई हुई है, शर्म आती है आप जैसे लोगो पर, और प्रिया वहाँ से उठ कर चली गई। सुनील को अपनी गल्ती का एहसास हो गया और प्रिया से माफ़ी माँगी और आज दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं। आफिस की उस पहली मुलाकात में ही प्रिया ने सुनील को बदल दिया।
