आप जी को एक पत्र
आप जी को एक पत्र
(एक पत्र आपके नाम)
आपको तो ....
छोटे छोटे बाल की खाल पे चिपके अणु भी दिख जाते है
कोई कोई दूर के पक्षी या उनकी चोंच भी
जो न जाने अंजाने कुछ खा रहे है, पता नही क्या ?
या इधर उधर से कोई कोई विवाद खड़ा कर रहे हैं
या शायद चाँद पर जाने की तैयारी कर रहे हैं
समय मिल जाए तो आप..
कभी एक नजर डाल लीजिये न, इधर एक राम कली है
(कई हज़ारो लाखो होंगी)
उनके बच्चे का दाखिला नही हुआ, खाने को भी नहीं है
वो जो है न बयासी साल वाले राम सिंह
(और बहुत सारे लाखो वरिष्ठ नागरिक)
उनको एफ डी पर बहुत थोड़ा ही मिलता है
पहले से आधा ही ब्याज,शायद छ फीसदी, क्या करें बेचारे ?
(पर क्रेडिट कार्ड पर वही लोग छ्त्तीस फीसदी देते हैं,
बैंक लूट रहे हैं, आपको पता ही नही, ओह!)
कोई इलाज आप क्यों नही करते?
और वो जो मेहता जी की बेटी, और न जाने कितनी और..
उसको तो नौकरी ही नही
शादी कब होगी पता नही ?
पर आपको क्या आप तो मंदिर मे दिया जलाईये न,
कई हज़ार या लाख, टैक्स का पैसा है आखिर हमारा ही
किसी का दिवाला निकल रहा आपको क्या ?
वो जो है बनवारी लाल सरकारी सर्विस मे न !
अब मेंगाई भत्ता भी बन्द बेचारे का!
अब वो डेड सौ वाली दाल खाये या सौ रुपये वाले प्याज?
बता दीजिये न बेचारे को !
पर पार्लिया मेंट् तो नया बन रहा है न !
( यही है अच्छी खबर न, तालियां बजाईये न)
उसी पार्लियामेंट् को सजाईये न!
(और उसमे बैठ कर,
आम आदमी की परेशां हालत पर चर्चा कीजियेगा न)
अभी तो उधर से ही आ रहा हूँ मैं
घोड़े हाथी पहाड़ जैसे मुद्दे ही नही दिख रहे आजकल आप को
(शिष्टाचार वश कहता हूँ, वाकी तो सब ठीक ही चल रिया है)
सब ठीक ही है,
(यही सुनना चाहते थे न आप)
आगे राम राम सब को जी
क्या बोलूँ सब ठीक है, सर जी
( ठण्डी सांस लेता हुआ)