STORYMIRROR

डा आशीष त्रिपाठी अश्क

Romance Classics

3  

डा आशीष त्रिपाठी अश्क

Romance Classics

आखिर क्यों

आखिर क्यों

1 min
216

बना गुलाब तो कांटा चुभा गया कोई

हुआ चराग तो घर ही जला गया कोई


तमाम रंग मेरे और सारे ख्वाब मेरे

फ़साना थे कि फ़साना बना गया कोई


मैं जिसपे चल सकूं और न ही बढ सकूं

ये कौन से रास्ते लगा गया कोई।


Rate this content
Log in

More hindi story from डा आशीष त्रिपाठी अश्क

Similar hindi story from Romance