आख़िरी काम
आख़िरी काम
टॉमी मेरा वफादार कुत्ता था। वफादारी का जो पाठ उसने मुझे पढ़ाया, मैं भूल नहीं पाता हूँ।
उस दिन सड़क पार करते वक्त कोई निर्दयी गाड़ीवाला उसे टक्कर मार कर भाग गया। उसके पीछे-पीछे चलते हुए
जैसे ही मैं दो कदम बाद उस तक पहुंचा, वह बेचारा अपनी आखिरी सांसे ले रहा था।
मेरा दिमाग उस गाड़ीवाले के प्रति क्रोध से भर गया और मेरी आँखों से टॉमी की हालत देख कर अश्रु- धारा बहने
लगी।
तभी मैंने देखा कि टॉमी अपना दम तोड़ने से पहले अपना मुंह उठा कर जैसे मुझसे कुछ कहना चाह रहा था। हालाँकि
मैं कुत्तों की भाषा नहीं समझता पर उसकी आखिरी इच्छा का सम्मान करते हुए मैं अपना मुंह उसके पास लाया। उसने
अपनी जीभ निकाल कर मेरे चेहरे से आंसू पोंछ डाले।
इस संगदिल दुनिया में ये उसके द्वारा किया गया आखिरी काम था।