Deepak Dixit

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अमीर गरीब

अमीर गरीब

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भीखू ने अपना कटोरा उठाया और भिनभिनाते हुए मंगू के पास आकर बोला, "यार, ये भी कोई जिंदगी है ? कल ही पाण्डु हवालदार हफ्ता लेकर गया था और आज ये जग्गू दादा के वसूली करने वाले आकर मेरे कटोरे से सारे पैसे उठा कर ले गए। मैंने कितना समझाया कि आजकल धंधा मंदा चल रहा है और ये जो कटोरे में पैसे पड़े हैं ये मैंने अपनी तरफ से डाले हैं ताकि लोग उसे देख कर और भीख दे सकें, पर वो लोग सुनते है नहीं। काश हम भी अमीर होते तो इन सब झंझटों से मुक्ति मिल जाती।"

पास में टूटी कुर्सी पर बैठा पनोतीलाल इनकी बातें सुन कर हंस पड़ा और बोला, "अरे जन्मजात भिखमंगों, तुम्हें अमीरों की कहानी का क्या पता? हमसे पूछो जिसने तीन साल तक व्यापार और बारह साल तक नौकरी की थी कंगाल होने से पहले। अमीरों को भी यह समस्या परेशान करती है। अगर तुम नौकरी करते हो तो तुम्हारा मालिक तुम्हारी कमाई से ही इनकम टैक्स काट कर तुम्हें तनखाह देता है पर कहने के लिए उस टैक्स को भी तुम्हारी कमाई में गिनता है। पूछो तो कहते हैं की यह टैक्स सरकार को जाता है जिससे वह सबकी सुविधा के लिए सड़क ,रेल और अस्पताल बनती है, पर इनका उपयोग करना हो तो फिर से तुम्हें टिकट लेना होता है। हाँ उन्हें एक राहत जरूर है, उन्हें इसके लिए बस साल में एक बार हिसाब किताब लगा कर पैसा भरना होता है, तुम्हारी तरह रोज रोज का कष्ट नहीं भोगना होता। और व्यापारी की हालत तो बेहद ख़राब है भाई। सरकार रोज नए-नए कानून बनाती जाती है और पता ही नहीं चलता कि सही टैक्स कितना बनता है और टैक्स इंस्पेक्टर आकर तुम्हारी कुछ न कुछ गलती ढूंढ कर तुमसे पैसा ऐंठ कर ले जाता है। मेरी कंगाली में इनका भी बड़ा हाथ है। मेरे मैनेजर ने मुझसे छल किया और गलत हिसाब बनाया। वास्तव में घाटा होने के बावजूद मुझे एक बड़ी रकम टैक्स में भरनी पडी और मैं तुम्हारी तरह सड़क पर आ गया।"

उसकी बात सुनकर भीखू और मंगू खिलखिलाकर हंस दिए।

उधर धन्नामल सेठ अपने सी.ए के साथ इनकम टैक्स ऑफिसर से दो घंटे तक गिड़गिड़ाने के बाद अपनी गाड़ी से घर वापस जा रहा था कि ट्रैफिक-सिग्नल पर उसकी गाड़ी रुकी और उसने इन भिखारियों को हँसते देखा और सोचा , "कितनी मौज है इन गरीबों की। जिंदगी में कोई झंझट ही नहीं है, खुले आसमान के नीचे मस्त होकर पड़े हंस रहे हैं और इनकी रोटी का जुगाड़ तो हम जैसे लोग कर ही देते हैं।"

एक मिनट बाद ट्रैफिक लाइट ने अपना रंग बदला और सब अपनी-अपनी जिंदगी के ढर्रे पर फिर से लग गए।


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