आजादी का पता तब चला जब आज हम कैद हुए
आजादी का पता तब चला जब आज हम कैद हुए


कल कुदरत से हमने खेला
आज कुदरत हमसे खेल रही है
जिन्हे हम करते थे कैद खुद के शौक के लिए
आज वो हमसे पूछ रही है
घबराते क्यूँ हो ये मज़ा तो हमने बरसों से चखा है
कल कुदरत से हमने खेला
आज कुदरत हमसे खेल रही है !