आई लव यू
आई लव यू
जाने क्या-क्या चल रहा था मन में, आज दरवाजे के पीछे खड़े उसने जो कुछ सुना था, वो उसके अतीत को भविष्य से जोड़ता सा लग रहा था।
बचपन में उसके साथ जो हादसा हुआ था उसकी टीस उसके मन में हमेशा से थी। कभी-कभी स्वप्न में भी उन उंगलियों का स्पर्श महसूस होता और उसे गहरी नींद से उठा देता। तड़प कर रह जाती थी। उस वहशी ने जिस निर्दयता से उसके मात्र बारह वर्ष के मासूम जिस्म को नोचा था, सारा दृश्य, दर्द के साथ उसकी आँखों के सामने दौड़ जाता। वो फूट-फूट कर रोती। माता-पिता ने बदनामी के डर से न किसी को कुछ बताया, न कोई कार्यवाही करी। बस चुप रहे, पूर्वी को भी समझाया कि चुप ही रहे।
आज उसकी शादी-शुदा जिंदगी सुकून भरी थी। पति और ससुराल वाले बहुत चाहते भी थे पर अब शादी के तीन साल बाद भी गर्भवती न होने पर ससुराल वालों ने सब जाँच करवाई, पूर्वी और उसका पति रमन रिपोर्ट लेने आये थे। रमन डॉक्टर से मिलने और सारी बातें विस्तार से समझने हेतु अंदर गया, पूर्वी बाहर ही बैठी रही। देर हो जाने के कारण दरवाजे के पास जा, अंदर झांकनें और अंदर की बात सुनने आगे बढ़ी तो डाक्टर की बात कान में पड़ी, "आपकी पत्नी को बचपन में कभी गहरी अंदरूनी चोट लगी थी, जिसका सही समय से इलाज न होने से सारी परेशानी है। रिपोर्टों अनुसार इनके माँ बनने की सम्भावना नहीं के समान है।" ये सुनते ही अंदर रमन, बाहर पूर्वी जड़वत खड़े रह गये।
पूर्वी समझ नहीं पा रही थी कि पूछने पर क्या जवाब देगी ? इतना प्यार करने वाले ससुराल वालों को अब भी धोखा देगी ? अंदर चल रही बातों का स्वर धीमा हो गया था। कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। पूर्वी का दिल सब सोच कर बैठता जा रहा था।
रमन बाहर आये, बिना कुछ बोले कार स्टार्ट की और घर की ओर चल दिये । एकदम शान्त। घर पहुँचकर माँ के पूछने पर बोले, "पूर्वी की तो सारी रिपोर्ट नार्मल हैं, मुझे अपनी जाँच करवाने के लिये कहा है।" पूर्वी हत्प्रभ सी खड़ी रही।
रात कमरे में पहुँचकर रमन से बोली, "आपने माँ से झूठ क्यूँ कहा ? मैंने डॉक्टर की बात सुन ली थी। मैं आपको कुछ बताना चाहती हूँ।" रमन नें उसके हाथों को अपनें हाथों में लेकर कहा, "मैं जानता हूँ जो तुम बताना चाहती हो, तुम्हारे पापा नें शादी के पहले ही मुझे बता दिया था। उसमें तुम्हारी कोई गलती भी नहीं थी। बस जैसा मैंने कहा आज से बस वही सच है।" बाँहों में समेटते हुए बोला, "आई लव यू।"