आई लव इंडिया
आई लव इंडिया
वह रेगिस्तान के टीलो पर बैठ कर किसी अलग ही दुनिया में खो गई थी। वहाँ पर लोकनृत्य की खुमारी कुछ इस तरह छा गई थी कि इसे दिखाने वाले लोग और देखने वाले सभी लोग जैसे ईश्वर का साक्षात्कार कर रहे हो। ढोलक पर आखिरी थाप पड़ने के बाद भी कुछ पल तक वहाँ बिखरी खामोशी लोगों की बेसुधी को बयां कर रही थी।
“दिस इज अमेजिंग!” किसी की हल्की आवाज ने उस खामोशी में अपनी झंकार घोल दी।
“रियली व्हाट अ परफॉर्मेंस। ओके जेनी, वी शुड गो बैक।
और फिर इसी के साथ तालियाँ बजाती हुई जेनी और उसकी सहेलियां खड़ी हुई। जेनी का मन नही कर रहा था लौटने का लेकिन उसे कल की फ्लाइट से वापस जाना था।
जेनी एक सैलानी थी जो दूसरी बार भारत घूमने आई थी। वह अपने जीवन के शोरगुल भरे माहौल से यहाँ सुकूँ के कुछ पल चुराने आ रही थी।
वह अपने जीवन में एक अकेलापन महसूस करती थी। वह अपने माता पिता की इकलौती सन्तान थी। सब कुछ होने के बाद भी वह एक घुटन महसूस किया करती थी।
जब वह पहली बार भारत घूमने आई थी तो उसे यहाँ के रीति रिवाज, त्यौहार, या जिसके बारे मे भी सुना था, उसे आकर्षित करते थे। दूसरी बार अब जब वह वापस जा रही थी तो अपने साथ इस लोकनृत्य की ऊर्जा लेकर जा रही थी।