आई एम एब्सेंट, मैम
आई एम एब्सेंट, मैम
स्त्रियों के प्रति पुरुष मानसिकता समझने की अपनी एक रिसर्च के लिए उस महिला ने आज दस पुरुषों को बुलाया था। वे पुरुष उससे और वह उन पुरुषों से पहले कभी नहीं मिली थी। ना ही उन पुरुषों के नाम-पते आदि लिए गए थे। उन्हें एक हॉल में बैठाकर, अपनी एक मित्र के साथ वह खुद एक कमरे में चली गई। अन्दर जाकर उस महिला ने एक दवाई खाई और कुछ ही मिनटों में वह बेहोश हो गई।
उसकी मित्र बाहर आई और उसने इशारा किया। सभी पुरुष एक-एक कर पंद्रह मिनटों के लिए उस कमरे में गए। अंदर कमरे में कोई कैमरा नहीं था और पुरुषों को इस बात की इजाज़त थी कि वे उस महिला के शरीर के साथ जो चाहें कर लें, लेकिन उन्हें उस महिला की मित्र को यह लिख कर देना है कि उन्होंने क्या किया और उससे उनका अनुभव कैसा रहा? उन्हें क्या लिखना है उसकी भी पूरी छूट थी।
दो घंटों के बाद जब वह होश में आई। उसने देखा उसके सारे कपड़े इधर-उधर गिरे हुए हैं, वह खुद भी ज़मीन पर ही गिरी-पड़ी थी। शरीर पर कई जगह खरोंचें भी थीं।
चूँकि वह अपनी इस स्थिति के लिए तैयार थी, इसलिए उसे हैरत नहीं हुई। उसे दर्द तो हो रहा था लेकिन फिर भी किसी तरह उसने खुद को ठीक कर अपनी मित्र को अन्दर बुलाया और पूछा, “सबने उत्तर दे दिया?”
उसकी मित्र ने जवाब में उसे दस कागज़ थमा दिए।
उसने पढ़ा, पहला कागज़ फटा हुआ था, दूसरे कागज़ पर कुछ आड़ी-तिरछी लकीरें थीं, कुछ तो कोरे ही थे एक पर तो उस महिला का ही बिना कपड़ों का स्केच बना हुआ था।
किसी भी कागज़ में उत्तर ना पाकर वह घबरा कर बोली, “यह क्याsss है? अरे! उत्तरों पर ही तो मेरी रिसर्च टिकी है। सब हैं कहाँ?”
“बाहर बैठे हैं।“
वह बाहर भागी,
और उसने देखा कि हॉल खाली था।