STORYMIRROR

Chhaya Prasad

Tragedy Inspirational

3  

Chhaya Prasad

Tragedy Inspirational

आघात

आघात

5 mins
574

बिनय सकुचाते हुए होटल के मालिक से पूछ ही लिया" सर आर यू इंडियन"

"यस आई ऍम इंडियन "

बिनय को तसल्ली हो गई क्योंकि उसे होटल के नाम से पता चल गया था कि ये किसी इंडियन का ही होटल है और यहाँ के डिशेज भी इंडियन ही है। होटल मालिक जिसका नाम अप्पा राव था, उसने हिंदी में कहा "तुम भी इंडिया से हो क्या बेटा"?

 हाँ अंकल, अभी कुछ दिन पहले ही अमेरिका आया हूँ। आप तो देखते होंगे अंकल मैं रोज़ यही आकर खाना खाता हूँ।

 अंकल इधर कुछ दिनों से आप से कुछ पूछना चाहता हूँ । आप कहे तो पूछूँ ? "क्यो नहीं, अवश्य पूछो। हम इंडियन ऐसे ही होते है,जल्द ही किसी को अपना बना लेते हैं। पूछो बेटा, "

सर आप इंडिया के होकर इतनी दूर आकर अमेरिका में अपना होटल खोले है ? ये मुझे कुछ अटपटा सा लगता है, इसी से पूछ रहा हूँ।

"तुमने ठीक ही सवाल किया, बहुत से इंडियन लोग हमसे यही सवाल पूछ चुके है।क्या बताऊँ बहुत ही लम्बी और दुखद कहानी है, कुछ मजबूरी ही ऐसी हो गई कि मुझे यहाँ रहना पड़ा। तुम्हे क्या बताऊँ बेटा फिर कभी अपनी कहानी सुनाऊँगा। कभी छुट्टी के दिन, रात में घर आओ,क्योंकि दिन भर हम और हमारी बीबी होटल में बिजी रहते है।रात 10 बजे अपना होटल बन्द कर घर लौटते हैं।कभी घर पर आओ मिल बैठ कर बातें करेंगे।"ठीक है अंकल कल संडे है, रात में आता हूँ। "तुम्हारा स्वागत है अवश्य आना"।

      संडे को दिन भर बहुत व्यस्त रहा, रात का खाना खाने के बाद साढ़े दस बजे अंकल के यहाँ गया। अंकल आंटी दोनो ने बड़े प्यार से मेरा वेलकम किये। अंकल कोल्ड ड्रिंक बनाकर ले आये । मैने कहा इसकी कोई जरूरत नही है, "ठीक है बेटा,मेरा भी तो कुछ फर्ज़ बनता है, आज बेटा घर आया है।"

        अरे अंकल आपतो मुझे बेटा कहकर सचमुच् मुझे अपना बना लिए। अब अपने से, अपने दिल की बात कह डालिये। आप के विषय में सब कुछ जानने को उत्सुक हूँ।

 हम तीनों साथ बैठ गये।

‌ अंकल,आंटी की आँखे गीली हो गई। मैं चुपचाप बैठा रहा तभी कहा सुनो, तुम को जल्दी तो नहीं है न? हमलोग रात 11-12 बजे से पहले सोते भी नही खाना पीना तो होटल में ही हो जाता है अगर तुम बैठना चाहते हो तो बैठ सकते हो" जी अंकल आप सुनाइये अपनी कहानी ।

 "हाँ तो सुनो ,मैं इंडिया में रहता था, LIc में जॉब करता था, मजे की जिंदगी थी। हमारा एक बेटा था ,अभी पता नही कहाँ है।"ऐसा बोलते हुए अंकल की आँखें भर आईं, आंटी भी रो पड़ी। मैने अंकल के पीठ पर थपकी दे कर उन्हें सान्तवना दी। "अंकल तुरत बोल पड़े, मेरा इकलौता बेटा था पता नही क्यों हमलोगों को यू छोड़ गया है,हम दोनों ने बड़े ही लाड प्यार से उसे पाला, फिर वो हट्टा- कट्टा,हैंडसम इंनजिनीअर बना। बहुत अच्छा था हमारा बेटा, ना जाने उसे किसकी नजर लग गई ,उसकी शादी हुई, अब उसे गये हुये तो दस पन्द्रह साल हो गए।

    वो अमेरिका में ही नौकरी करता था। हमलोग इंडिया में रहते थे, वो साल में एक बार इंडिया ज़रूर आता था हमलोग सब बहुत खुश थे।एक बार ऐसा हुआ तुम्हरी आंटी बहुत जोर से बीमार पड़ी इलाज के बावजूद भी काफी कमजोर और लाचार हो गई थी। सभी लोगो ने कहा अब आप लोग अकेले रहने में असमर्थ हैं अच्छा होगा अगर आपलोग अपने लड़के के पास चले जाय। बेटा भी सहमत था। फिर हमलोग वहाँ का सब प्रोपेर्टिस बेच कर यहाँ आ गये। कुछ दिनों तक सब ठीक चलता रहा पर कुछ दिनों के बाद महसूस होने लगा

कि हमलोगों का यहाँ आना सही डिसीजन नही था। कभी-कभी घर में तनाव सा महसूस होता था।

       फिर जो हुआ बेटा तुम कभी सोच नही सकते ,एक दिन ऑफ़िस से आकर कहा पापा मेरा यहाँ से ट्रांसफर हो गया हैं। अगले सप्ताह जॉइन करना है।मैं सोच रहा हूँ हम लोग पहले चले जाते है,वहाँ सब कुछ ठीक-ठाक कर आप लोगो को बुला लेगे। मैने कहा ठीक है जैसा तुम ठीक समझो वहीं करो फिर वो वैसा ही किया जैसा सोचा "अंकल आगे कुछ बोलते , वो फफक कर रोने लगे मैं क्या बोलता, फिर दो मिनट के बाद अंकल बोले "तुम जानते हो वो जो हमलोगों को छोड़ के गया तो फिर वापस आया ही नही ।आज तक हमें लेने नही आया और न ही अपना पता, ठौर- ठिकाना, ना ही फ़ोन नम्बर दिया क्या करता इंतजार कर -कर के थक गया,जिंदगी तो जीना था।क्या करता पैसे की कमी होने लगी।जीने के लिए पैसा चाहिए।अंकल बिलख कर रो पड़े बोले काश वो कहा होता तो हमलोग खुद ही वापस इंडिया चले जाते पता नही क्यो ऐसा किया।उसे क्या पता कि माँ बाप का दिल कितना बड़ा होता है ।अगर साथ नही रहना था तो एक बार बोला होता खैर क्या बताउं पैसे नही थे हमने एक जेंटल मैन को अपनी कहानी सुनाई,उनसे कुछ डौलर उधार दिये,उस पैसे से डोसा बनाने के लिए समान खरीदा फिर तुम्हारी आंटी डोसा बनाने लगी और घर से ही उसे बेचना शुरू किया जानते हो जो हमको उधार दिया उसी ने सबसे पहले डोसा ख़रीद कर खाया और मेरा प्रोपगंडा भी किया फिर तो मेरा काम इतना बढ़ गया कि अकेले चलाना मुश्किल हो गया । पहले उधार चुकाया फ़िर एक दो आदमी हेल्प के लिए रख लिये। जिसका कोई नही होता उसका भगवान होता है। ईश्वर की कृपा से डोसा का काम इतना बड़ा कि लक्ष्मी की वर्षा होने लगी फिर क्या था मैने एक होटल ले लिया जिसमे तुम रोज खाना खाते हो।अब इतना बड़ा होटल संभलना थोड़ा मुश्किल हो रहा हैं....। हमदोनो बूढ़े हो गए है,आगे देखता हूँ क्या होता है?

ईश्वर मुझे आघात दिया है वही मलहम भी लगाएगा। यही तो हमारी कहानी हैं। अब बहुत रात हो गई है कल होटल में फिर मिलते हैं।"

मैं उनके हौसले को सैलूट करता हुआ घर चला गया।

    

      


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy