ज़िन्दगी से बड़ा दर्द ?
ज़िन्दगी से बड़ा दर्द ?


ए ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी से बड़ा दर्द क्या है।
आँखों से गिरते आंसुओं
से बड़ा सर्द क्या है।
मेरी चाहत के टूट कर गिरते पत्तों
से बड़ा ज़र्द क्या है।
चुकाता हूँ हर रात
यादों के क़र्ज़ से बड़ा क़र्ज़ क्या है।
पल भर में बदलते मेरे महबूब
से बड़ा खुदगर्ज क्या है।
ये इश्क़ तो इश्क़ है
इश्क़ से बड़ा मर्ज़ क्या है।