फिर वो रात आ गयी..
फिर वो रात आ गयी..
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कल गुजारी थी जो जाम के सहारे,
जाने क्यों आज फिर वो रात आ गयी
कुछ देर तो साथ चला वो मेरे,
फिर किसी के रास्ते में उसकी औकात
आ गयी
तौबा कर ही ली थी तो तौबा कर ही लेते,
ज़ुबां पे क्यों फिर उसी की बात आ गयी
मशहूर हो कर भी पहली सफ न मिली
तेरी बज़्म में,
मेरी शोहरत के बीच क्यों मेरी जात आ गयी
छोड़ तो आया था सब तोहफे ज़माने भर के,
फिर ये तन्हाई क्यों साथ आ गयी
चलना शुरू किया था जहां से सफर के
अंत में देखा
जाने क्यों फिर वो शुरुआत आ गयी