ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है
ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है
बंधा है तू इतनी माया से,
की बेखबर तू साधारण ज़िन्दगी से हो गया है,
उतारकर देख ले ये लालच का चश्मा,
समझ में आएगा तुझे,
कि ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है. (१)
कायल है तू जो मोह के पीछे,
की बेखबर तू सच्चे इश्क़ से हो गया है,
उतारकर देख ये हवस का चश्मा,
समझ में आएगा तुझे ,
कि ज़िन्दगी
कितनी खूबसूरत है.(२)
बंधा है तू इतना अपने सपनों से है,
की बेखबर तो वास्तविकता से हो गया है,
उतारकर देख ये अनगिनत ख्वाहिशों का चश्मा,
समझ में आएगा तुझे ,
की कितनी खूबसूरत है ज़िन्दगी। (३)
खोया है तू इतना दिखावे की दुनिया में ,
की बेखबर तू सच्चे रिश्तों से हो गया है,
उतारकर देख ये दिखावे का चश्मा,
समझ में आएगा तुझे ,
कि ज़िन्दगी
कितनी खूबसूरत है. (४)
उलझा है तू दूसरों को खुश रखने में,
कि दूर तू खुद अपने आप से हो गया है,
दो घड़ी आपने आप से बात करके देख कभी,
समझ में आएगा तुझे ,
कि ज़िन्दगी
कितनी खूबसूरत है. (५)