ज़िन्दगी की जंग
ज़िन्दगी की जंग


जो हर तूफ़ान में भी तू,
डगमगाया नहीं,
हज़ारों ठोकरे खाकर भी तू,
लड़खड़ाया नहीं,
बस चलाता रहा कदम से कदम मिलाकर,
एक निडर सिपाही सा,
ज़िन्दगी की लड़ाई में,
फ़तेह का झंडा फैलाने के लिए।
जो हर तूफ़ान में भी तू,
डगमगाया नहीं,
हज़ारों ठोकरे खाकर भी तू,
लड़खड़ाया नहीं,
बस चलाता रहा कदम से कदम मिलाकर,
एक निडर सिपाही सा,
ज़िन्दगी की लड़ाई में,
फ़तेह का झंडा फैलाने के लिए।