ज़बरदस्ती या मजबूरी में क्यों प्यार करना
ज़बरदस्ती या मजबूरी में क्यों प्यार करना
हमेशा से बस यही चाहा कि
कोई मुझे इतना ज्यादा प्यार करे
जिसकी कोई सीमा, कोई हद ना हो
अगर ऐसा कोई ना मिला तो कोई बात नहीं
इससे कम में मुझे संतोष भी नहीं करना
कोई प्यार करे तो अच्छा है
नफरत करे कोई तो मुझे
नफरत को प्यार में नहीं बदलना
सबकी अपनी ज़िन्दगी है
सबकी अपनी पसंद है
जिसे जो पसंद हो उससे प्यार करे
ज़बरदस्ती या मजबूरी में क्यों प्यार करना ?
