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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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ये वैलेंटाइन डे हमारा है

ये वैलेंटाइन डे हमारा है

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340



सूरज सिर पर चढ़ आया था

मगर वो गहरी नींद में सोया था

फोन की घंटी सुन कसमसाया

फिर फोन उठाया

उनींदे स्वर में हैलो कहा

जवाब में हैप्पी वैलेंटाइन डे सुनकर

वो तनिक हड़बड़ाया फिर लापरवाही से बोला

थैंक्यू! मगर आप कौन?

मैंने आपको पहचाना नहीं

उत्तर मिला

पहचानोगे भी भला कैसे?

हमारा तुम्हारा रिश्ता भी तो नहीं है।

परिस्थितियों वश कभी

हमसे एक रिश्ता जुड़ गया था

उसे तुमने ही दुनिया समाज से डरकर 

एकदम चुपचाप तुमने तोड़ दिया था

तब हमें भी कोई फर्क नहीं पड़ा था।

अब कुछ याद आया या कुछ और कहूं

मगर आपको याद क्यों होगा?

शायद इसलिए भी 

कि तुमने तो कभी सोचा भी न होगा

कि हम फिर कभी साथ साथ बैठ सकेंगे

एक बार फिर लड़ झगड़ भी सकेंगे।

तुम दुनिया में अकेले जो ठहरे

मगर एक बार हम ये कोशिश कर रहे हैं

तुम्हारी दुनिया में हम आज से

अपने रिश्ते की नींव नये सिरे से रख रहे हैं

तुम्हें अपने नेह के बंधन में बांध रहे है

इस वेलेंटाइन डे को यादगार बना रहे हैं

तुम्हारे कंधों पर जिम्मेदारियों का

नया बोझ डाल रहे हैं।

विश्वास लिए एक प्रयास भर कर रहे हैं।

पर हम तुम्हें विवश भी नहीं कर रहे हैं

लेकिन पूरे अधिकार से ये बात कह रहे हैं

क्या तुम हमें और हमारे रिश्ते को स्वीकारोगे

या आज भी फिर मुंह मोड़ लोगे

पहले की तरह एक बार फिर निराश कर दोगे

क्या आज के दिन ये खूबसूरत उपहार दे सकोगे?

रिश्तों के इस बोझ को संभाल सकोगे?

वैलेंटाइन डे पर नया इतिहास लिख सकोगे?

मेरे सामने आकर मेरे सिर पर अपना हाथ रख सकोगे?

एक बहन को भाई का लाड़ दुलार दे सकोगे?

सिर्फ मौन ही रहोगे या जवाब भी दोगे।

प्यार का मतलब भी समझ सकोगे?

तुम्हारे मौन का मतलब शायद

बहुत कुछ संकेत कर रहा है,

हमारे रिश्तों को ढो पाने की सामर्थ्य

तुम्हारे अंदर बिल्कुल नहीं है।

फिर भी हमारी दुआएं, शुभकामनाएं

सदा तुम्हारे साथ पहले जैसा ही है,

वैलेंटाइन डे पर भी ये ही हमारा प्यार है। 



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