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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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दोहा गीत - मत तोड़ो विश्वास

दोहा गीत - मत तोड़ो विश्वास

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नियम बना अब आप लो, जीवन जियो सुवास।

नहीं किसी भी एक का, तोड़ो सत विश्वास।।


निंदा नफ़रत से नहीं,   बनता कोई काम।

इस पथ पर जो चल रहा, पाता क्या परिणाम।।

सत्य मार्ग चलते रहें, खुद से रखकर आस।

कष्ट मिले मिलता रहे,  मत तोड़ो विश्वास।।


गलत काम को मानिए, अति दुर्गंधी वास।

तन मन को पावन रखो, बनो नहीं मन दास।।

कौन और क्या क्या करे, कौन फेल या पास।

स्वार्थ सिद्ध करके कभी, मत तोड़ो विश्वास ।।


दुनिया तुमको राह से,  भटकायेगी रोज।

लालच देकर आपको, करवाएगी भोज।।

नहीं भटकना आपको,देख चमक धन पास।

राह अडिग हो आपकी, मत तोड़ो विश्वास।।



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