सोरठा छंद
सोरठा छंद

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विविध
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किसे फ़िक्र है आज, अपनों के ही दर्द की।
छिपते सारे राज ,जब पीड़ा हो तोषिनी।।
किसको कहें गरीब , सब गरीब हैं जब यहां।
दुनिया बनी रकीब, ढोल बजाते सब जहां।।
देना सबको ज्ञान, होता तो मुझसे नहीं।
ये मेरा अभिमान, लग सकता है आपको।।
आप लीजिए जान, करना नेकी रोग है।
सबसे सुंदर ज्ञान, करके नेकी भूलना।।