ये नहीं लम्हें हैं ऐसे
ये नहीं लम्हें हैं ऐसे
पास बैठे हो
बहुत ही खूबसूरत है नजारा
कैद करना चाहता है
इन पलों को मन हमारा।
जिन्दगी की
खुशी सबसे बड़ी तो आप हो
आज आई है खुशी जब
आप बैठे पास हो।
थे कहाँ अब तक
रहे क्यों, दूर दिल की वादियों से
अश्क की नदियों में रखकर
क्यों छुपे थे कातिलों से।
हम भी क्या बातें पुरानी
कर रहे हैं आज फिर से
ये नहीं लम्हें हैं ऐसे
हाथ से जाने दें फिर से।
आज आंगन खूबसूरत
लग रहा है खूब सारा,
खिल गये हैं फूल
गुलदस्ता हुआ है मन हमारा।
अब न जाना दूर
दिल के पास ही रखना बसेरा
रात बीती हो गया है
नेह का सच्चा सवेरा।