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Sangita Jaiswal

Tragedy Inspirational

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Sangita Jaiswal

Tragedy Inspirational

ये खौफ का माहौल है

ये खौफ का माहौल है

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ये खौफ का माहौल है 

अब जान पर बन आई है।

ढूंढ रहे शांति हम पर चारों और तबाही है

जूझ रहे मौत से अपने बहन भाई है 

देख रहे दूर से वो अपनो की परछाई है

ये खौफ का माहौल है 

अब जान पर बन आई है ।

यहाँ हर कोई लाचार है 

ये कैसा दौर आ गया 

गरीब तो पहले से ही रो रहा 

ये हर अमीर को भी रुला गया

ये कैसा हाहाकार है

यहां हर कोई लाचार है 

ये खौफ का माहौल है 

अब जान पर बन आई है ।


दोगले कानून यहां दोगली सरकार है 

आम आदमी अपने घर में कैद है 

रास्तों पर उतरी ये लाल दिए वाली सरकार है 

आम जनता ही नहीं रही

तो क्या काम की ये योजना 

इतनी सीधी बात कोई क्यों नहीं समझता है

ये खौफ का माहौल है 

अब जान पर बन आई है।


ये आसमान भी है झुका 

ये जमीन भी खामोश है

बाहर गूंज सन्नाटों की, मन में बहुत शोर है

किसी और से क्या कहे 

यहां हर एक दोषी हर एक निर्दोष है 

पर वक्त आगे बढ़ गया न मांगता गवाही है 

जीत ली ये जंग जिसने बस उसी की रिहाई है

ये खौफ का माहौल है 

अब जान पर बन आई है ।


ये जंग, ये जंग है इसे घर पर रहकर जीता जायेगा 

समझ गया वो सुशिक्षित है, जो न समझा उसे कौन समझाएगा

ना छू सके, ना मिल सके बस दूर से ही हर कोई रो दिया

कांपती ही रूह ये, यहां हर किसी ने अपना कोई खो दिया।

रख हौसला, रख उम्मीद तू 

ये दौर है ,ये दूर जायेगा ।

हम एक थे हम एक है न हार कोई मानेगा ।

जीत ली ये जंग जिसने वो योद्धा कहलाएगा।

और एक दिन बेशक नया सवेरा आएगा।


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