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Supriya Jain

Tragedy

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Supriya Jain

Tragedy

ये जिंदगी संभलते-संभलते अचानक बिखर क्यों जाती हैं

ये जिंदगी संभलते-संभलते अचानक बिखर क्यों जाती हैं

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सही होते होते

हर बात बिगड़ क्यों जाती हैं।।

खुशियाँ हाथों को छूकर,

मुझसे बिछड़ क्यों जाती हैं।।

में चाहती हूँ,जब भी,

सबकी तरह बेफिक्र होना...

ये जिंदगी संभलते-संभलते,

अचानक बिखर क्यों जाती हैं।।


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