ये जिंदगी संभलते-संभलते अचानक बिखर क्यों जाती हैं
ये जिंदगी संभलते-संभलते अचानक बिखर क्यों जाती हैं
सही होते होते
हर बात बिगड़ क्यों जाती हैं।।
खुशियाँ हाथों को छूकर,
मुझसे बिछड़ क्यों जाती हैं।।
में चाहती हूँ,जब भी,
सबकी तरह बेफिक्र होना...
ये जिंदगी संभलते-संभलते,
अचानक बिखर क्यों जाती हैं।।