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Mohd Rahil

Abstract Romance Classics

4.5  

Mohd Rahil

Abstract Romance Classics

याद

याद

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सर्द की रात, और वो हसीन लम्हात,

कितना खुश था मैं, जब मिला था उसका साथ


मेरी खुशियों का ठिकाना न था,

दर्द का मतलब मैंने जाना न था


खूबसूरत और सुलझा हुआ मेरा यार था,

उसकी तारीफ़ें खत्म नहीं होती, वो मेरा पहला प्यार था


मैं हसने लगा, मुस्कुराने लगा,

अपना ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त उसके साथ बिताने लागा


देखते देखते वक़्त बीत गया,

लगता था जैसे मैं प्यार की दुनिया जीत गया


आखिर आ ही गया जुदाई का दिन,

ज़िन्दगी सूनी लगने लगी उनके बिन


वो चले गए हमसे बहुत दूर,

उनके बिना जीने को हो गए मजबूर


>

फिर कभी कभी कॉल पर हो जाया करती थी बात,

वहीं होते थे, मेरे ज़िन्दगी केे सबसे हसीन लम्हात


वो हमसे और हम उनकी हाल पूछ लिया करते थे,

बस इसी के सहारे हम जी लिया करते थे


फिर उसने बंद कर दिया करना बात,

उदासी और बेबसी में जागने लगे सारी रात


फिर कभी न हुई बात,

हम भी तनहा गुज़ारने लगे रात


आँखों में आँसू लेकिन होंठो से मुस्कुराते थे,

दर्द अपना लोगों से छुपाते थे


इसी तरह बीत गए दो साला,

न आयी याद उन्हें, न पूछा मेरी हाल


छोड़ दिया अब करना उनपे ऐतबार,

शायद अब कभी न होगा किसी से प्यार !


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