याद बहुत आती है
याद बहुत आती है
हाँ!उन हँसी के पीछे आपके खोने के गम
को छुपाना अभी भी जारी है;
ज़ख्म अभी भरे नहीं हैं ढंग से,
याद सच- मुच बहुत आती है।
हाँ! त्यौहार भी थोड़ा- बहुत मना लिया आपके बगैर,
पर आपकी कमी बिना बोले ही
सबके चेहरों पर अलग से खल जाती है,
जख़्म थोड़े कम हुए है,
पर याद सच- मुच बहुत आती है।
हाँ! धीरे- धीरे सबने सच स्वीकार कर लिया है
आपको खोने का,
उस बहन की डोली भी उठ जायेगी आपके बगैर
और उस माँ-बाप के आँसू भी
धीरे-धीरे सूख जाएंगे,
पर उन हर खटे- मीठी पलों
पर याद सचमुच बहुत आएगी।

