वतन
वतन
सोने की चिड़िया बन कण-कण में अद्भुत प्रकाश फैलाया है ,
वीरों ने लहू से इस धरती को सजाया है ,
वतन की हर बात पर जीने मरने का जज़्बा आया है ।
गंगा सी दूध की लहर ,चिड़ियों का चहकना यू चारों पहर
नव उत्कर्ष सहित गूंढ प्रेम प्रकृति के लिए लाया है ,
वतन की हर बात पर जीने मरने का जज़्बा आया है ।
यूं सर्वत्र धर्म के अनुयायियों को सद्प्रेम के साथ अपनाया है ,
कुरान, गीता ,बाइबिल के प्रति सदैव एकता का भाव दिखाया है,
वतन की हर बात पर जीने मरने का जज़्बा आया है ।
रणभूमि में कई वीरगति के बाद ये हिंदुस्ता हमने पाया है
वीरों के परिवार बालों ने आसुओं को खुद छिपाया है ,
वतन की हर बात पर जीने मरने का जज़्बा आया है ।
नेहरू, भगतसिंह , आजाद , कई राजनीतिक स्वतंत्रता सेनानियों ने हमें बताया है ,
इंसान वही जिसने धरती मां का कर्ज उतारा है ,
वतन की हर बात पर जीने मरने का जज़्बा आया है ।
लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना ने अपने बेटे को पीठ पर बांध विजय ध्वज फहराया है ,
वतन की हर बात पर जीने मरने का जज़्बा आया है।
बोस की रणनीति से विदेशों तक उजियाला है ,
बदले रूप जले संग धूप ऐसा वीरों का गुलगस्ता हरयाला है ,
वतन की हर बात पर जीने मरने का जज़्बा आया है ।
गांधी जी के अहिंसा पाठ से सबको मिला ज्वलंत सहारा है ,
वतन की हर बात पर जीने मरने का जज़्बा आया है ।
स्वंतत्रता सेनानियों का जीवन ने अलग सा तेज़ हमें जताया है ,
वतन की हर बार पर जीने मरने का जज़्बा आया है ।
हो झलकारीबाई या हो अवंतीबाई हर किसी ने कर्तव्यपथ को आगे तक पहुंचाया है ,
वतन की हर बात पर जीने मरने का जज़्बा आया है।