ग्रामीण जीवन का संयुक्त परिवार
ग्रामीण जीवन का संयुक्त परिवार
गावों का जीवन भी कितना प्यारा था ,
दस - दस परिवारों का एक ही घर में गुजारा था ,
भोर होने पर सबको जगाने का काम ,
पंक्षियों का शोर - शराबा था ,
मेरे गांव का जीवन भी कितना प्यारा था ।
जब साथ बैठते थे परिवार के सारे लोग ,
कहते थे कहावते , पाते हुए स्वादिष्ट भोग ,
यहां अलग ना होकर सब -कुछ हमारा था ,
मेरे गांव का जीवन भी कितना प्यारा था ।
बच्चों को बाग में झूला देखना भी सबके लिए सुहाना वो गलियारा था ,
और पास आके उन्हे झुलाना भी क्या नजारा था ,
मेरे गांव के जीवन भी कितना प्यारा था ।
पशुओं का मनभावन हरा वो चारा था ,
मेरे गांव का जीवन भी कितना प्यारा था ।
आया कोई छोटा - सा भी त्यौहार ,
बन अपने सबने प्रेम किया न्योछार ,
वो मंजर में भी कितना उजियारा था ,
मेरे गांव का जीवन भी कितना प्यारा था ।
मां की ममता का हर वक्त सहारा था,
मेरे गांव का जीवन भी कितना प्यारा था।
दूर उनसे होकर हर मोड़ पर मेरे आधियारा था ,
मेरे गांव का जीवन भी कितना प्यारा था !