क्यों हूं मैं गुमशुदा?
क्यों हूं मैं गुमशुदा?
1 min
274
क्यों हूं मैं गुमशुदा
आखिर क्या है जो मन में चल रहा ?
जो में करती नहीं आखिर क्यों उसकी सजा पातीं हूं ?
ये लिखा है तकदीर में या में ही खुद हर बार लिखा लाती हूं ?
तकलीफ होती है मुझे जब सबको खुश कर के भी
खुद को मुसीबत के वक्त अकेला पाती हूं
जी रही कुछ गुमशुदा सी ये मैं क्यों नहीं समझ पाती हूं?
तुम समझते नहीं हो मुझे
मैं अब समझाना भी नहीं चाहती हूं ।
खोई सी हूं मैं इस जहां से
अब दूसरी दुनिया में रहना चाहती हूं ।