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Manu Sweta

Inspirational

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Manu Sweta

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वसुधैव कुटुम्बकम

वसुधैव कुटुम्बकम

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कुछ ऐसा हो जाये

सारी वसुधा एक हो जाये

न कोई जात हो न पात हो

बस सब एक दूसरे के साथ हो

न कोई ऊँचा हो न कोई हो नीचा

भिन्न भिन्न फूलों का हो ये बगीचा


न कोई करे किसी से भी नफरत

सबको हो जाये सबसे मोहब्बत

यहाँ न कोई लूट पाट हो

बस प्यार की बरसात हो

दूर हो जाये सबके हिस्से के ग़म

बस अब हो यहाँ वसुधैव कुटुम्बकम।



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