वसुधा को परिवार समझकर
वसुधा को परिवार समझकर
गीत
वसुधा को परिवार समझ कर
*******
रिश्ते नातों से ऊपर उठ,
हर त्यौहार मनाएं हम।
वसुधा को परिवार समझकर,
सुख बांटें सुख पाएं हम।
*******
रब ने कायनात बख्शी है,
इंसां को जीवन देकर।
और दिया है प्यार इसलिए,
आपस में बांटें जी भर।
वसुधा सारी प्यारी हमको,
सब जलचर थलचर नभचर,
एक साथ मिलकर रहते हैं,
सभी मानते इसको घर।
बने एक दूजे के खातिर,
सब को ये समझाएं हम।
वसुधा को परिवार समझकर,
सुख बांटें सुख पाएं हम।
*******
सुख सुविधाएं सारी ही ये,
इंसानों के लिए यहां।
हवा धूप लें जितनी चाहें,
पानी इतना और कहाँ।
पेड़ पहाड़ पत्थर वन सारे,
काम हमारे आते हैं।
पैदा करती अन्न धारा जो,
उससे जीवन पाते हैं।
आवश्यक हो खाना जितना,
उतना ही बस खाएं हम।
वसुधा को परिवार समझकर,
सुख बांटें सुख पाएं हम।
*******
भेद नहीं इंसानों में कुछ,
गोरे हों या काले हों।
बंधे खून के बंधन में या,
रिश्ते शादी वाले हों।
हमराही या मित्र पड़ोसी,
खून अगर है एक सामान।
धर्म यही है प्यार "अनन्त",
सबसे करें मिटा अज्ञान।
नहीं दूरियां हमको बांटे,
मानव धर्म निभाएं हम।
वसुधा को परिवार मानकर,
सुख बांटें सुख पाएं हम।
*******
अख्तर अली शाह" अनंत "नीमच