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Pinky Dubey

Abstract Classics

4  

Pinky Dubey

Abstract Classics

वक़्त

वक़्त

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वक़्त को कोइ समझ नहीं सकता

कौन कब बदल जाए पता नहीं चलता

आज जो साथ मे है खड़ा

वक़्त बदलते वोह साथ छोड़ जाए


वक़्त ऐसी चीज़ है आज है तोह कल नहींं

वक़्त बदलते कभी सालो निकल जाते है

तोह कभी कुछ पल मे सब कुछ छीन जाता है

ये वक़्त बहुत बेरहम होता है


बहुत सताता है

बहुत रुलाता है

कभी कभी तो बहुत खुशी दे जाता है

वक़्त ऐसा है की कभी एक जैसा नहीं रहता

कभी उतार है तो कभी चढ़ाव


वक़्त ही इंसान को दूसरे इंसान की पहचान कराता है

वक़्त कभी थमता नहीं चलता ही जाता है

वक़्त को कोइ पकड़ नहीं सकता

आज मेरा है तो कल किसी और का


बस वक़्त के साथ चलते रहो

वक़्त ही सबकी पहचान करवाएगा।


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