वो प्यार जो अधूरा ही अच्छा
वो प्यार जो अधूरा ही अच्छा
जानते हो प्यार क्या होता है ?
क्या ?
तन की भूख को बुझाने का एक ज़रिया,
या समाज में अपनी एक जगह बनाने का तरीका
या सिर्फ एक एहसास, जो कभी सच नहीं होता
सिर्फ ख़यालों में तैरता रहता है
कभी यार बन के, तो कभी गुनहगार बन के।
क्या होता है प्यार ?
क्यों मुकम्मल नहीं होता कभी ?
शायद ये प्यार रिश्तों की डोर में
बंधने के लिए बना ही नहीं
जितना अनछुआ रहे उतना अच्छा
जब तड़पाये तो और भी अच्छा।
कोशिश करो, दुआ करो,
कि नादान मुहब्बत मुकम्मल न हो जाये गलती से कभी
कुछ बेड़ियाँ निकल आएंगी वरना
ना नुकुर करते करते...।